हरिद्वार में भी बेकार ़पड़े हैं ज्यादातर ATM
सैलानियों का बुरा हाल
देव नगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में देवों की चिंता ही नहीं है प्रशासन को. ये सुनते ही आप अचंभित जरूर हो रहे होंगे, लेकिन ये हकीकत है. घबराइये नहीं हम मंदिर में स्थापित देवों की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि भारतीय संस्कृति की परंपरा “अतिथि देवो भव:” की बात कर रहे हैं. जी, हाँ हमारे देश में जब कहीं से कोई आगंतुक आता है तो वह देव तुल्य होता है जिसकी सेवा-सत्कार और उसे हर प्रकार से सुविधा प्रदान करना हमारी संस्कृति है. लेकिन देवों की नगरी में देव संस्कृति का मानो बैंड बजा हुआ है. हरिद्वार में अप्रैल-मई महीनो से सैलानियों और तीर्थ करने वालों का जमघट लगता है.
देश के कोने-कोने ही नहीं बल्कि विदेशों से भी यहाँ मोक्ष की प्राप्ति और चारों धाम की यात्रा के लिए लोग यहाँ आते हैं. लेकिन इन पर्यटकों का हालत तब खराब हो जाता है जब वे शहर में ATM से पैसे निकालने जाते हैं.
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र हरेराम शर्मा, राशन दुकानदार शुभम, गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की सेकेण्ड सेमेस्टर की छात्रा मेघा भारद्वाज, फ़ोर्थ सेमेस्टर की छात्रा कुकी और फिफ्थ सेमेस्टर के छात्र शिवम प्रजापति बताते हैं कि शहर के अधिकांशतः ATM में पैसे अक्सर नहीं रहते हैं. यह तो यहाँ के लिए आम बात है. हरिद्वार आना है तो भाई पैसा कैश ले के आइये वर्ना ATM के चक्कर में आपको शहर के चक्कर काटने पड़ सकते हैं.
पिछले 15 दिनों से हरिद्वार में रह रहे एक सैलानी सत्यप्रकाश सिंह ने कहा कि वे 2 दिनों से ATM का चक्कर काट रहे हैं और हरि की पौड़ी से लेकर भारत माता के मंदिर तक कई ATM को खंगाल चुके हैं लेकिन कहीं भी पैसे आज दूसरे दिन भी नहीं मिले. ATM में पैसे नहीं होने का या तो बोर्ड लगा हुआ मिलता है या फिर ATM के शटर गार्ड गिराकर गायब हो जाते हैं.
अभी तो ये सैलानियों के सीजन की शुरुआत है क्योंकि बद्रीनाथ के कपाट कल ही खुले हैं.
ऐसे में सैलानियों को अगर ATM से पैसे नहीं निकल पाएं तो उनके लिए एक नयी मुसीबत खड़ी हो जायेगी. ATM के इस रियालिटी चेक के लिए पटना नाउ ने भी शहर के स्टेशन से लेकर भारत माता मंदिर तक कई ATMs की ख़ाक छानी तो उक्त बातें सच साबित हुई.
अतः अगर आप भी इस बार गर्मियों में छुटियां बिताने की हरिद्वार में आने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाइए और ATM के भरोसे अपनी यात्रा न रखें बल्कि कैश ही साथ रखे.
हरिद्वार से ओपी पांडे