महिला सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन की दिशा में हुई अभूतपूर्व प्रगति
कलाकृतियों की खरीद-बिक्री सह प्रदर्शनी 135 स्टॉल लगाये गए
ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के बीच आर्थिक एवं सामाजिक रूप से आये आये बदलाव की लहर इन दिनों सरस मेला में भी देखने को मिल रहा है. कल तक जो महिलाएं घर की चाहरदीवारी में कैद थीं,उन्होंने कुशल उधमी के रूप में अपनी पहचान बना ली है. कुछ वर्ष पहले तक वो किसी के यहाँ मजदूरी करती थी, आज कई लोगों को रोजगार दे रखा है.
सरस मेला में बिहार समेत देश के कोने-कोने से आई महिला उधमियों के स्टॉल्स इसकी बानगी पेश कर रहे हैं. मेले में आई ग्रामीण महिला उधमियों को देखकर यही लगता है कि महिला सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन की दिशा में हुई अभूतपूर्व प्रगति हुई है.
आरा से आई रीता अपने पति की मौत के बाद टूट गई थी. अत्यधिक शराब के सेवन से इनके पति की मौत हो गई थी. सात वर्ष पूर्व रीता तारा जीविका महिला स्वयं सहायता समूह से जुडी. समूह उनके लिए संबल बना. आज वो न सिर्फ क्रोशिया आर्ट को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि इसके माध्यम से दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रखा है.
इनके द्वारा क्रोशिया आर्ट के तहत उत्पादित श्रृंगार के सामानों की सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी मांग है. इसके अलावा कृत्रिम आभूषण एवं आर्टिफिशियल ज्वेलरी का भी उनका व्यवसाय अब बड़ा आकार ले चूका है. रीता बताती हैं कि सरस मेला एक बड़ा बाज़ार है जहाँ वो अपने द्वारा निर्मित उत्पादों को लेकर आती हैं. रीता सिर्फ एक ही उदहारण नहीं है बल्कि इनकी तरह की कई महिलाएं महिला सशक्तिकरण की एक झलक है. जो सरस मेला में मौजूद हैं. मेला के चौथे दिन सोमवार को भी आगंतुक आये और अपने मनपसंद उत्पादों की खरीददारी की और स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया.
जीविका द्वारा सरस मेला पटना के ज्ञान भवन में ग्रामीण शिल्प और उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री के उदेश्य से 2 सितम्बर से 11 सितंबर तक आयोजित है. बिहार समेत 17 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पाद और कलाकृतियों की खरीद- बिक्री सह प्रदर्शनी 135 स्टॉल से हो रही है . सरस मेला में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, आसाम, मध्य प्रदेश, महारष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान,सिक्किम एवं पच्छिम बंगाल से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण शिल्प कार अपने यहाँ की शिल्प, संस्कृति, परंपरा एवं व्यंजन को लेकर उपस्थित हैं. 2 सितंबर से जारी सरस मेला में तीन दिन में लगभग 67 लाख रूपये के उत्पादों और देशी खाद्य- व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है . मेला के आयोजन के तीसरे दिन रविवार को बड़ी संख्या में लोग आये और खरीददारी की. 56 हजार लोग आये और लगभग 45 लाख रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद बिक्री हुई .
छत्तीसगढ़ से आई सहेली स्वयं सहायता समूह के स्टॉल से सर्वाधिक सवा लाख रुपये के परिधानों की खरीद बिक्री हुई. जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई से लगभग 68 हजार रुपये के व्यंजनों का स्वाद लोगों ने चखा. खरीद-बिक्री का आंकड़ा मेला में आये ग्रामीण उधमियों से लिए गए बिक्री रिपोर्ट पर आधारित होती है. स्वच्छता एवं बेहतर साज-सज्जा एवं बेहतर बिक्री को बढ़ावा देने के उदेश्य से जीविका द्वारा प्रतिदिन स्टॉल धारकों को सम्मानित भी किया जा रहा है. रविवार को स्वच्छता के लिए हिन्द महिला स्वयं सहायता समूह, उत्तर प्रदेश, साज-सज्जा के लिए ओम जीविका स्वयं सहायता समूह, बिहार एवं सबसे ज्यादा उत्पाद की बिक्री के लिए छत्तीसगढ़ से आई सहेली स्वयं सहायता समूह के स्टॉल को सम्मानित किया गया.
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