अपने अजीबोगरीब फरमान के लिए मशहूर बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूल के गुरु जी को एक नया टास्क सौंपा है और नया विवाद खड़ा कर दिया है. शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी करके सरकारी स्कूल के शिक्षकों को अपने इलाके में शराबियों की पहचान बताने का निर्देश जारी कर दिया है और इसके लिए टोल फ्री नंबर पर जानकारी देने का निर्देश भी दिया गया है.
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारी और सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को निर्देश जारी किया है. उन्होंने निर्देश जारी किया है कि ऐसी सूचनाएँ प्राप्त हो रही हैं अभी भी कतिपय लोगों द्वारा चोरी-छुपे शराब का सेवन किया जा रहा है. इसका दुष्परिणाम शराब पीने वाले और उनके परिवार पर पड़ रहा है. संजय कुमार ने कहा कि इसे रोकना अति आवश्यक है इसलिए इस संबंध में निदेश दिया जाता है कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में शिक्षा समिति की बैठक आहूत कर नशामुक्ति के संदर्भ में आवश्यक जानकारी दी जाय. साथ ही प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों / उच्च माध्यमिक विद्यालयों के सभी प्रधानाध्यापकों / शिक्षकों / शिक्षिकाओं / शिक्षा सेवक / शिक्षा सेवक ( तालीमी मरकज़) / विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को निदेश दिया जाय कि चोरी-छुपे शराब पीने वाले या उसकी आपूर्ति करने वाले लोगों की पहचान कर मद्यनिषेध विभाग के मोबाईल नम्बर 9473400378, 9473400606 एवं टॉल फ्री नम्बर 18003456268 / 15545 पर सूचना दी जाय. सूचना देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी. यह भी सुनिश्चित् किया जाय कि विद्यालय अवधि के बाद चोरी-छुपे नशापान करने वाले विद्यालय परिसर का कत्तई उपयोग न करें.
सरकार का बेतूका फरमान
इधर राजद ने शिक्षकों को शराब ढूंढने का टास्क सौंपे जाने के आदेश को बेतूका फरमान बताते हुए अविलम्ब इसे वापस लेने की माँग की है.
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि सरकार द्वारा प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यपकों , शिक्षकों , शिक्षिकाओं , शिक्षा सेवकों , शिक्षा सेवकों ( तालीम मरकज ) के साथ हीं विधालय शिक्षा समिति के सदस्यों को गुपचुप तरीके से शराब पीने वालों और आपूर्ति करने वालों का पता लगाकर मधनिषेध विभाग को सुचित करने का आदेश जारी किया गया है.
राजद प्रवक्ता ने कहा कि शिक्षकों के लाखों-लाख पद रिक्त रहने के कारण विधालयों में सही ढंग से पढ़ाई नही हो रहा है. पहले से हीं शिक्षकों से कई अन्य काम लिए जाते रहे हैं. कभी – कभी तो शिक्षकों की कमी की वजह से कई विधालयों में ताला लटका रहता है. सरकार के इस नये फरमान से तो शिक्षा व्यवस्था हीं पूर्ण रूप से ठप हो जायेगा. सरकार को बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा महत्वपूर्ण काम शराबबंदी हीं दिखाई पड़ रहा है. क्योंकि सरकारी विधालयों में तो ज्यादातर गरीबों के बच्चे हीं पढते है.
राजद प्रवक्ता ने कहा कि शराबबंदी के नाम पर सरकार केवल तमाशा कर रही है. इस सरकार को शराबबंदी के नाम पर तमाशा करने के अलावा और दूसरा कोई काम हीं नहीं है. सारा पुलिस प्रशासन इसी में लगा हुआ है फिर भी शराब का अवैध कारोबार चल हीं रहा है.
राजेश तिवारी