आखिरकार एक और बाबा कानून के शिकंजे में आ ही गया. और ऐसा आया कि अब दोबारा इस बाबा की दुकान नहीं चल पाएगी. और अब फिर ये बाबा किसी लड़की की इज्जत से नहीं खेल पाएगा. कम-से-कम आज सीबीआई कोर्ट ने इतना तो तय कर ही दिया है.
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 20 साल की जेल की सजा सुनाई है. रेप को दो मामलों में गुरमीत को 10-10 साल की जेल की सजा मिली है. इसके साथ ही 15-15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जो पीड़ितों को दिया जाएगा. इस तरह राम रहीम को उसकी करतूतों के लिए उम्रकैद से भी बड़ी सजा मिली है. उम्रकैद में सामान्यत: दोषी को 14 साल के लिए जेल भेजा जाता है.
बता दें कि साल 2002 में डेरा आश्रम में रहने वाली एक साध्वी ने चिट्ठी के जरिए डेरा प्रमुख पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. इस मामले में हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. कोर्ट के आदेश पर साल 2001 में सीबीआई को जांच सौंपी गई. साल 2007 में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने के बाद कोर्ट ने केस पर सुनवाई शुरू की थी. इस केस में राम रहीम के खिलाफ IPC की धारा 376, 511 और 506 धारा के तहत केस चल रहा था. 25 अगस्त को पंचकूला में CBI कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया था. डेरा समर्थकों की हिंसा को देखते हुए इस बार सजा पर फैसले की सुनवाई के लिए रोहतक जेल में ही कोर्ट बनाया गया था. बता दें कि 25 अगस्त को हुई हिंसा में 38 लोगों की मौत हो गई थी.
सोमवार को रोहतक जेल के अंदर बने कोर्ट रूम में सजा पर बहस पूरी होने के बाद राम रहीम जज के सामने रहम की भीख मांग रहा था. पंचकूला से जज जगदीप सिंह हेलीकॉप्टर से रोहतक पहुंचे थे. उन्होंने दोनों पक्षों को बहस के लिए 10-10 मिनट का समय दिया था. अभियोजन पक्ष ने राम रहीम के लिए उम्रकैद की मांग की थी. बचाव पक्ष ने कहा कि राम रहीम समाज सेवी हैं. उन्होंने भलाई के कई काम किए हैं. इसका संज्ञान लेते हुए सजा में नरमी बरती जानी चाहिए.
लेकिन कोर्ट ने गुरमीत को कड़ी सजा देकर ऐसे बाबाओं के खिलाफ मिसाल कायम कर दी है. केस में सजा होने के बाद भी राम रहीम फर्श पर बैठा रोता रहा. उसने कहा कि वह कोर्ट रूम से नहीं जाएगा. इसके बाद वकीलों ने उसे समझाया. उसे जबरन कोर्ट रूम से बाहर निकाला गया. अब राम रहीम को आने वाले 10 साल के लिए कैदी नंबर 1997 का तमगा मिल गया है.