सरस मेला में हस्त शिल्प के उत्पाद भा रहे हैं लोगों को
सरस मेला 11 सितंबर तक चलेगा
सरस मेला के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ते ही जा रहा है. सरस मेला में ग्रामीण शिल्प और देशी व्यंजनों के प्रति लोगों के बढ़ते क्रेज का परिणाम ही है कि खरीद-बिक्री का आकड़ा मंगलवार को एक करोड़ पार कर गया. पिछली बार आयोजित मिनी सरस मेला से कुल दस दिनों में डेढ़ करोड़ रुपये के उत्पाद एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई थी . इस बार पांच दिन में ही आंकड़ा एक करोड़ पार कर गया. 2 सितंबर से जारी सरस मेला 11 सितंबर तक आयोजित है.
मेला के छठे दिन बुधवार को भी आगंतुक आये और अपने मनपसंद उत्पादों की खरीददारी की और स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाया. 2 सितंबर से जारी सरस मेला के पांचवे दिन खरीद बिक्री का आंकड़ा एर करोड़ पार कर गया. महज पांच दिन में लगभग 1 करोड़ 1 लाख 45 हजार रूपये के उत्पादों और देशी खाद्य- व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है. पांचवे दिन मंगलवार को लगभग 22 हजार लोग आये बड़ी संख्या में लोग आये और लगभग साढ़े सत्रह लाख रुपये की खरी-बिक्री हुई. उत्तर प्रदेश से आई उवेश स्वयं सहायता समूह के स्टॉल से सर्वाधिक 60 हजार रुपये के खादी के खरीद बिक्री हुई. खरीद-बिक्री का आंकड़ा मेला में आये ग्रामीण उधमियों से लिए गए बिक्री रिपोर्ट पर आधारित होती है.
जीविका द्वारा सरस मेला पटना के ज्ञान भवन में ग्रामीण शिल्प और उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री के उदेश्य से 2 सितम्बर से 11 सितंबर तक आयोजित है. बिहार समेत 17 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पाद और कलाकृतियों की खरीद- बिक्री सह प्रदर्शनी 135 स्टॉल से हो रही है. सरस मेला में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, आसाम, मध्य प्रदेश, महारष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान,सिक्किम एवं पच्छिम बंगाल से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण शिल्प कार अपने यहाँ की शिल्प, संस्कृति, परंपरा एवं व्यंजन को लेकर उपस्थित हैं. स्वच्छता एवं बेहतर साज-सज्जा एवं बेहतर बिक्री को बढ़ावा देने के उदेश्य से जीविका द्वारा प्रतिदिन स्टॉल धारकों को सम्मानित भी किया जा रहा है. सोमवार को स्वच्छता के लिए सतत जीविकोपार्जन योजना के स्टॉल, बेहतर साज-सज्जा के लिए निमत जीविका स्वयं सहायता समूह, बिहार एवं सबसे ज्यादा उत्पाद की बिक्री के लिए उवेश स्वयं सहायता समूह, उत्तर प्रदेश के स्टॉल को सम्मानित किया गया.
सरस मेला में आई विभिन्न स्टॉल धारकों में लगभग सभी महिलाओं ने ग्रामीण परिवेश से बाहर निकलकर विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं सहायता समूह के संबल से खुद को स्वावलंबी बनाया है. उन्ही महिलाओं में से एक हैं गया जिला अंतर्गत गंगहर गाँव की देवमंती देवी.
असमय पति की मौत के बाद देवमंती ने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि अपने दो बच्चों की भी सहारा बनी. काठ से खिलौने बनाने की हुनर को जीविका से संबल मिला. उन्होंने अपने शंकर जीविका महिला स्वयं सहायता समूह से 50 हजार रूपया ऋण लेकर काठ के खिलौने बनाकर बेचने का कारोबार शरू किया. बोधगया तथा अन्य मेला में अपने उत्पादों को बेचकर प्रति माह दस से पंद्रह हजार रुपये का मुनाफा कम रही हैं. उनके दोनों लड़के इनके कार्य में मदद करते हैं . अब इनके द्वारा बनाये गए काठ के खिलौने उड़ीसा एवं बंगाल के बाज़ारों में भी बिकने लगे हैं . सरस मेला में भी देवमंती देवी का स्टॉल है. जहाँ से आगंतुक लट्टू, घिरनी एवं अन्य बाल खेल के खिलौने खरीद रहे हैं. देवमंती ने अपने आप को आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर अपने-आप को सशक्त किया है बल्कि पुरानी परंपरा को भी पुनर्जीवित किया है. इनके स्टॉल पर आने पर अपना बचपन जरुर याद आता है. स्टॉल से प्रति दिन 12 से 15 हजार रुपये के खिलौने की खरीद-बिक्री हो रही है.
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