यमतंत्र में सेंध या रंगबाजी ?

By om prakash pandey May 22, 2018

यमलोक में किया जब तीन दुराचारियों ने बहुमत सिद्ध
भगवान चित्रगुप्त जीतकर भी, गंवा बैठे गद्दी

आरा, 22 मई. सत्ता पर आसीन होने के लिए आदि काल से ही प्रपंच रचा जा रहा है, चाहे वो देश के आजादी के बाद का काल हो या उसके पहले का. सत्ता की कुर्सी प्रपंचों के इस जाल के बाद उसी को मिलती है जो इस प्रपंच को लोकतांत्रिक साबित कर दे. ये अलग बात है जब वर्षों बाद इस प्रपंच के बनाने वाले ही शिकार हो जाएं तो फिर लोकतंत्र के नाम पर रंगबाजी पर उतर आते हैं. देश मे मची इस तरह के घमासान की सिख ले जब यमलोक में तीन धरती के दुराचारी घुसते हैं तो यमतंत्र किस तरह डगमगा जाता है इसी पर आधारित था आरा रंगमंच का नुक्कड़ नाटक यमलोक में रँगबाजी.




आरा रंगमंच ने नुक्कड़ नाटक की अपनी 57 वीं प्रस्तुति लड्डू भोपाली द्वारा परिकल्पित “यमलोक में रंगबाजी” की प्रस्तुति की. नाटक की शुरूआत के पहले देश के प्रसिद्ध चित्रकार और लेखक, दिनकर पुरस्कार से सम्मानित बी.भाष्कर ने अपने संबोधन में कहा कि आरा में नुक्कड़ नाटक की समृद्ध परंपरा रही है और आरा रंगमंच इस परंपरा का निर्वहन लगातार करते आ रही है.

नाटक वर्तमान राजनीति पर प्रहार करता व्यंग्य हास्य के जरिये लोगों को गुदगुदाते देश के हाल का आईना दिख गया. नाटक में यह दिखाया गया पृथ्वी लोक तीन दुराचारी, भ्रष्टाचारी मानव मरने के पश्चात यमलोक में पहुंचते है.
तीनों मानव वहां यमराज और चित्रगुप्त में ही फूट डालकर राजा का चुनाव करवा डालते है. चुनाव में चित्रगुप्त की विजय होती है. लेकिन तीनों मिलकर चित्रगुप्त को गद्दी से उतार कर खुद ही राजा बन जाते है. अंत में यमराज मानवों से बचने के लिए उन्हे वापस पृथ्वी लोक पर वापस भेज देते है.

मुख्य भुमिकाओं में निशिकांत सोनी, सुधीर शर्मा, डॉ पंकज भट्ट, संतोष सिंह, लड्डू भोपाली, व सलमान महबूब रहे. गीत सुधीर शर्मा का व संगीत श्याम शर्मीला, अंजनी का था. धन्यवाद ज्ञापन अनिल तिवारी दिपू ने दिया.उपस्थित गणमान्य लोगों में शिक्षाविद कृष्ण कांत चौबे, लोक संगीत के मर्मज्ञ नागेन्द्र पाण्डेय, अंजनी शर्मा, बबलू सिंह, चित्रकार कमलेश कुंदन आदि थे.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

Related Post