फॉरेक्स रिजर्व के मामले में भारत ने एक नया मुकाम हासिल किया है. आर बी आई की ओर से बीते दिन जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 1.22 अरब डॉलर बढ़ा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 372 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, बढ़ता फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट और इंपोर्ट में गिरावट के कारण भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है. फॉरेक्स रिजर्व में सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी मुद्रा संपत्तियों (एफसीए) का होता है. इसमें केंद्रीय बैंक के पास स्वर्ण भंडार और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) में भारत के विशेष आहरण अधिकार यानी एसडीआर भी शामिल होते हैं. एसडीआर मुद्राकोष की हिसाब-किताब की मुद्रा इकाई है. विदेशी मुद्रा संपत्तियों (असेट्स) में डॉलर के अलावा यूरो, पौंड और येन जैसी मुद्राओं के मूल्य में घटत या बढ़त का असर भी शुमार होता है.रिजर्व में आए उछाल में तात्कालिक रूप से सबसे ज्यादा योगदान एफसीए का रहा, जिसमें एक हफ्ते में 1.46 अरब डॉलर का इजाफा हुआ. इससे विदेशी मुद्रा संपत्तियां 345.24 अरब डॉलर पर पहुंच गईं. विदेशी मुद्रा भंडार के बाकी दोनों घटकों में गिरावट दर्ज हुई.
इधर चीन का फॉरेक्स रिजर्व घटकर पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है. हालांकि अब भी ये 3,170 अरब डॉलर है, जो भारत से लगभग साढ़े आठ गुना ज्यादा है. पीपल्स बैंक ऑफ चाइना की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर में चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अरब डॉलर घटकर 3,170 अरब डॉलर रह गया. यह इसका अप्रैल, 2011 के बाद सबसे निचला स्तर है.