15 दिसंबर से 29 दिसंबर 2023 तक आयोजित

ग्रामीण शिल्प और उत्पादों को बेचने के लिए सरस मेला एक बड़ा बाज़ार है

पटना- कल तक हाशिये पर जिंदगी गुजर-बसर कर रही ग्रामीण परिवेश की महिलाएं अब एक कुशल उद्यमी के तौर पर पुरे देश में अपनी पहचान बना रही हैं . ये महिलाये स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अब अपने हुनर , लोक संस्कृति, परंपरा , लोक कलाकृतियाँ एवं देशी व्यंजनों को राष्ट्रीय पटल पर प्रदर्शित एवं बिक्री करते हुए आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त हुई हैं .इसकी बानगी बिहार सरस मेला में प्रदर्शित है.बिहार सरस मेला ग्रामीण विकास विभाग, बिहार के तत्वाधान में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति, जीविका द्वारा 15 दिसंबर से 29 दिसंबर 2023 तक आयोजित है.

ग्रामीण शिल्प के लिए सरस मेला एक ऐसा मंच है जो स्वदेशी उत्पादों एवं इससे जुड़े लोगों को बाज़ार उपलब्ध कराने के साथ प्रोत्साहन भी देता है l सरस मेला का आयोजन देश के स्वयं सहायता समूहों से जुडी महिलाओं , स्वरोजगारियों ,एवं अन्य शिल्पकारों द्वारा निर्मित उत्पाद हस्त शिल्प एवं लोक कलाकृतियों के प्रदर्शन और बिक्री के लिए किया जाता है . लिहाजा ग्रामीण शिल्प और उत्पादों को बेचने के लिए सरस मेला एक बड़ा बाज़ार है . यहाँ आकर बिहार के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के अलावा देश के अन्य राज्यों की महिलायें लाभान्वित हो रही है . वर्तमान में आयोजित बिहार सरस मेला में 5 सौ से ज्यादा स्टॉल पर देश भर की कलाकृतियाँ , शिल्प एवं देशी व्यंजन देशी अंदाज में प्रदर्शित है. बिहार से अभी जिलों से 191 जीविका दीदियों ने अपने-अपने क्षेत्र की शिल्प कला , व्यंजन एवं विशेषताओं को प्रदर्शित एवं बिक्री कर रही हैं. इसी तरह अन्य 21 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण शिल्पकार एवं स्वरोजगारी अपने-अपने प्रदेश की लोक कलाकृतियाँ एवं शिल्प को लेकर उपस्थित हैं l बिहार सरस मेला में कुल 22 राज्यों की सहभागिता है.

बिहार सरस मेला के पहले ही दिन 15 दिसंबर को 39 हजार से ज्यादा लोग आये और लगभग 10 लाख 08 हजार रुपये के उत्पादों की खरीद-बिक्री हुई .जीविका दीदियों द्वारा संचालित शिल्पग्राम एवं मधुग्राम के स्टॉल से बड़े पैमाने पर उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री हो रही है . व्यंजन परिसर में जीविका दीदी की रसोई के साथ ही व्यंजनों के विभिन्न स्टॉल पर शुद्ध, देशी एवं पौष्टिक व्यंजन का लुत्फ़ आगंतुक उठा रहे हैं . इसके साथ ही प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार, परिचर्चा, सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु जन-जागरूकता कार्यक्रम एवं नुक्कड़ नाटक सरस मेला परिसर में आयोजित हैं.

सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत मुख्य मंच पर सुशीला श्रीकला के कलाकारों ने सूफी गायन, लोक गीत एवं गजल की प्रस्तुति की. शक्ति पाठक ने गजल प्रस्तुति के तहत “हमको किसके गम ने मारा- ये कहानी फिर कभी की” पेश कर दर्शकों को झुमाया.डा. ब्रिज बिहारी ने लोक “गीत काहे को ब्याहे विदेश –अरे लाखिया”और सूफी गायन पेश किया .“पिया गईले कलकतवा ए सजनी “इनके साथ वाद्य यंत्रों पर राजन कुमार-तबला, अनिल राज-ढोलक, सुजीत कुमार- की पैड एवं रंजन कुमार ने ऑकटा पैड पर संगत की . सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंच संचालक गुलाम सिमानी रहे .

सेमिनार हॉल में जीविका के तत्वाधान में जीविका दीदियों के साथ उद्योग संवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया l बतौर प्रशिक्षण श्री देवश कुमार, परियोजना प्रबंधक ने जीविका दीदियों को उनके द्वारा निर्मित उत्पादों को बाज़ार में बेहतर ढंग से बिक्री करने, आकर्षक पैकिंग और मुनाफे के साथ बिक्री का गुर बताया.
तत्पश्चात  कॉफ्फेड के तत्वाधान में बिहार को मछली व्यवसाय में अग्रणी  बनाने के लिए जीविका दीदियों और जीविका समूह के सहयोग पर चर्चा हुई l कार्यक्रम मे कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक श्री ऋषिकेश कश्यप ने उपस्थित जीविका दीदियों से बिहार को मछली उत्पादन में अव्वल बनाने के लिए साथ आने का आग्रह किया .नुक्कड़ नाटक के तहत जन जागरूकता अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के तत्वाधान में “कलमबाज” के द्वारा वित्तीय साक्षरता, साइबर क्राइम और ऑन लाइन खरीददारी सावधानी के साथ करने के लिए आगंतुकों को बताया गया. विभिन्न योजनाओं के प्रति आगंतुकों को जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों एवं बैंकों के स्टॉल भी सुशोभित है. जहाँ आगंतुक विभिन्न योजनाओं से रूबरू हो रहे हैं और अपने सवालों का उत्तर भी पा रहे हैं.

परियोजना पदाधिकारी महुआ राय चौधरी ने बताया कि बच्चों के लिए फन जोन एवं पालना घर सजाये गए हैं.आगंतुकों के लिए सरस मेला परिसर में कैशलेश खरीददारी की भी व्यवस्था की गई है. साथ ही जीविका दीदियों द्वारा संचालित ग्राहक सेवा केंद्र के माध्यम से आगंतुकों एवं स्टॉल धारकों के लिए ग्राहक सेवा केंद्र की भी उपलब्धता है.बिहार सरकार की विभिन्न योजनाओं के साथ ही सतत जीविकोपार्जन योजना के बिहार में सफल क्रियान्वयन की झलक दिखेगी । साथ ही नशा मुक्त बिहार एवं अत्यंत गरीब परिवारों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान की बानगी भी सतत जीविकोपार्जन योजना के स्टॉल पर प्रदर्शित हो रही है. सतत जीविकोपार्जन योजना से सम्बंधित स्टॉल पर वैशाली जिला के हाजीपुर से श्रीमती विन्दु देवी अपने नर्सरी में तैयार किये गए फूल, फल एवं सजावट के पौधे प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए लेकर आई हैं. बिंदु देवी का परिवार कल तक गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहा था l इनके पति की दिमागी हालत ख़राब थी और वो इन्हें छोड़कर कहीं चले गए हैं. हासिये पर जीवन जी रही बिंदु देवी को जीविका का साथ मिला.


वर्ष 2020 में इन्हें हिमालय जीविका महिला ग्राम संगठन के अनुमोदन के बाद सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत स्वरोजगार एवं स्वावलंबन के लिए पहले चरण में 10 हजार रुपये की विशेष निवेश निधि की राशी तत्पश्चात जीविकोपार्जन निवेश निधि के तहत 20 हजार रुपये की राशी के पौधे और फिर प्रति माह एक हजार रुपये की राशी जीविकोपार्जन अंतराल सहयोग निधि के तहत दी गई l इस राशी से इन्होने अपने रूचि के अनुरूप नर्सरी शुरू की. अब ये प्रति माह 10 से 15 हजार रूपया प्रति माह शुद्ध मुनाफा कमा रही हैं. मुनाफे की राशी से इन्होने एक गाय भी खरीद ली है.अब बिंदु देवी बिहार सरस मेला में बतौर महिला उद्यमी उपस्थित हैं. यह बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण एवं स्वावलंबन की मिसाल है. इस तरह से 3 सौ से ज्यादा महिला उद्यमी एवं शिल्पकार एक मेला में उपस्थित हैं. सरस मेला परिसर में सेल्फी ज़ोन भी लोगों को सहज ही आकर्षित कर रहे हैं. देशी अंदाज में बने जांता और ओखल - मुसल चलाती ग्रामीण महलाओं के साथ लोग सेल्फी ले रहे हैं.लाह से चूड़ी एवं उनी कपड़ों का जीवंत निर्माण- प्रदर्शन एवं बिक्री हो रहीहै.



                                                                             

By pnc

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