बिहार में एक बड़ी आबादी इन दिनों बाढ़ से जूझ रही है… कराह रही है. बाढ़ पीड़ित लोग चिल्ला रहे हैं. खाना,पानी,और चारा दो. क्या कर रही है सरकार और इसके लोग! 12 जिलों में कमोबेश यही स्थिति है. किसी को अपनों के खोने का गम है तो किसी का सबकुछ बर्बाद हो गया है. हुक्मरानों का बाढ़ के दृश्य देखने, अपने मातहतों को आदेश देने, डांटने का काम अभी चल रहा है. राहत का सामान पहुँचा नहीं, जल्दी भिजवाओ… क्यों नहीं पहुंचा… जैसे आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. सबकी सुन रहे हैं अधिकारी.. शायद नहीं, किस -किस की सुनेंगे. मेरे लिए सड़ी हुई नाव? क्या कर रहे मुख्यमंत्री? राहत के नाम पर खानापूर्ति. सरकार कुछ नहीं कर रही है. राज्य के मुख्यमंत्री को राहत शिविरों में लापरवाही नहीं बरतने का आदेश का मतलब क्या होता है? सरकार आपदा से पहले ही तय कर चुकी थी कि खाना के साथ नाश्ता भी दिया जाएगा तो क्यों नहीं दिया गया. अब सबको जवाब देना पड़ रहा है. कहीं-कहीं नाश्ता मिलने लगा. राहत शिविर में क्या होना चाहिए सब पहले से तय होता है.
अब मुख्यमंत्री ने कह दिया कि पत्तल की जगह स्टील की थाली में खाना खाएं और जब वापस घर जाएं तो थाली साथ ले जाएं. अब थाली मिली तो किसी में जंग लगी है कोई टेढ़ी है. सब माल खपाना है सो खप रहा है. कहीं प्लास्टिक की कमी तो कही अधिकारी गायब. हरा चारा नहीं तो गाय भैंस दूध कहां से देंगी. आमदनी बन्द होने से भी पशुपालक परेशान हैं… हजारों बीघा की फसल बर्बाद हो गई. 34 लाख हेक्टेयर में बाढ़ और सूखे से लगभग 10 अरब से ज्यादा का नुकसान हुआ है. अभी भरपाई में कितने साल लगेंगे लोगों के आंसू सब बता देते हैं. मुनिया देवी के घर में इस साल बेटी की शादी नहीं होगी, घर था वो भी ढह गया, उसके पति कहां है? अभी पता नहीं चल पाया है. राहत शिविर में शौचालय नहीं होने से भी भारी मुसीबतों से लोग दो चार हो रहे हैं शौच के लिए गए एक युवक की ट्रेन से कट मौत हो गई.
भला हो NDRF के जवान देवदूतों का जो फंसे लोगों को बचा कर ला रहे हैं. बोट पर डिलीवरी भी करवा दे रहे हैं… जानवर मवेशी सब को बचा ही रहे हैं. लोगों तक दवा और डॉक्टर को भी ले जा रहे हैं. अगर आप किसी भी राहत शिविर में जाएंगे तब जो दिखेगा, वो असली नहीं होगा। कुछ प्लान से हुआ या बिना प्लान के सब कुछ आपको दिखेगा. कहीं -कहीं शिविर में खाना नाश्ता चाय दूध पानी और ऊपर से स्टील की थाली मिलने की बात कही जा रही है. राशन के साथ दवा, पशुओं का चारा, सब ठीक है ना, बोलिए चाची कैसा चल रहा है? बेटा, लालू जी आइल रहन. कहत रहन कि सब गंगा मैया के दया बा. अपने आ गई हैं फायदा होगा. कितनी दूर चली गई थीं पटना से… बोतल में डाकविभाग से गंगा का पानी बिक रहा था अब गंगा गंगा हो गया है बिहार में. चिंता की बात नहीं है. ऐसे बयान बाढ़ पीड़ितों पर भी दिए जा रहे हैं. बिहार के सभी दलों के नेताओं ने अपनी अपनी चिंता व्यक्त की है कि राहत में कोताही बरती जा रही है.