प्रतिभाओं को काम पाना है तो उन्हें मुम्बई जाना पड़ता है
‘सिने संवाद’ श्रृंखला के तहत ‘बिहार में फिल्म प्रतिभा एवं संसाधनों की संभावना’ पर चर्चा
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार तथा बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड, पटना के संयुक्त सौजन्य से मौरिशन भवन, गोलघर, पटना में ‘सिने संवाद’ श्रृंखला के तहत ‘बिहार में फिल्म प्रतिभा एवं संसाधनों की संभावना’ पर चर्चा की गयी। इस अवसर पर प्रथम श्रोता अरविन्द कुमार तिवारी, महाप्रबन्धक, बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम लिमिटेड, पटना, बिहार ने इस अवसर पर मुख्य वक्ता अरविन्द रंजन दास, फिल्म मेकर एवं फिल्म प्रोफेसर, जवाहर लाल नेहरू, फाईन आर्ट्स यूनिवर्सिटी, हैदराबाद को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया.
इस आयोजन में फिल्म निर्देशक अरविन्द रंजन दास ने कहा कि बिहार में फिल्म प्रतिभाओं की कमी नहीं और संसाधन भी भरपूर हैं फिर भी बिहार में रहकर फिल्म के क्षेत्र से कोई अपनी जीविका चला सके ऐसा सम्भव नहीं है और इसी कारण बिहार की प्रतिभाओं को यदि काम पाना है तो उन्हें मुम्बई का रूख करना पड़ता है जहाँ खास कर बिहारी होने के कारण भी बहुत कुछ झेलते हुए काम पाने की कोशिश करनी पड़ती है. कई तो वापस लौट आते हैं और शेष जीवन कुंठा में बिता देते हैं। ऐसा तब हो रहा है जब बिहार में अद्भुत प्रतिभाएँ और संसाधन मौजूद हैं.
अरविन्द रंजन दास जी ने यह भी कहा कि बिहार के कलाकारों और तकनीशियनों को प्राथमिकता देते हुए राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फिल्में बनानी होंगी जिससे बिहार में बनी फिल्मों को इज्जत मिले और प्रतिभाओं के बीच विश्वास हो कि काम पाने के लिए उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं. बिहार के कलाकार, तकनीशियन और लोकेशन का उपयोग करते हुए बॉलीवुड की फिल्मों के स्तर से टक्कर ले सकने वाली हिन्दी फीचर फिल्म बना रहा हूँ जिसका टाइटल है ‘वाह’.
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कलाकार वीरेन्द्र कुमार सिंह ने किया. इस अवसर पर रविकांत कुमार सिंह, मिथिलेश सिंह, भारतेन्दु कुमार, मृदूला सिन्हा, उमेश कुमार, चन्दन कुमार, लीला कुमारी प्रसाद, श्वेता कुमारी, पूजा सिंह, रामू मंडल एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.
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