सिमरिया गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक के सबसे सुंदर तीर्थ के रूप में विकसित हो: संजय कुमार झा
सिमरिया कल्पवास मेले को एक दशक से अधिक से राजकीय मेला का दर्जा
उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित पावन सिमरिया धाम में हर साल लगने वाले प्रसिद्ध कल्पवास मेले का आज (बुधवार, 18 अक्टूबर 2023 को) शाम 4 बजे शुभारंभ होगा . जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा कल्पवास मेला क्षेत्र में लगभग एक लाख वर्गमीटर में मिट्टी भराई के अलावा रिटेनिंग वॉल के निर्माण और प्रकाशीय व्यवस्था का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. इस कार्यों से कल्पवास मेला क्षेत्र गंगा नदी की बाढ़ से पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. इनके अलावा जल संसाधन विभाग द्वारा यहां सीढ़ी घाट और धर्मशाला सहित कई अन्य सुविधाओं का निर्माण कराया जा रहा है, जिसे जून 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है. मिथिला वासियों की आस्था के प्रमुख केंद्र सिमरिया धाम में कल्पवास मेला की परंपरा सदियों से चली आ रही है. यहां केवल मिथिला ही नहीं, बिहार और पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ नेपाल तक से हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहे हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सिमरिया कल्पवास मेले को एक दशक से अधिक से राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है.यहां वर्ष 2011 में अर्ध कुंभ और वर्ष 2017 में महाकुंभ का भी आयोजन हो चुका है। इस वर्ष यहां संक्रांति से संक्रांति तक कल्पवास करने वाले साधु-संत 18 अक्टूबर को ध्वजारोहण कर कल्पवास शुरू कर देंगे, जबकि पूर्णिमा से पूर्णिमा तक एक माह कल्पवास करने वाले साधु-संत 27 अक्टूबर को ध्वजारोहण कर कल्पवास शुरू करेंगे। कल्पवासी यहां गंगा तट पर पर्ण कुटीर बना कर एक माह तक रहते हैं, प्रतिदिन गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं और सांसारिक मोह-माया को छोड़ कर दिनभर भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। पिछले वर्ष अक्टूबर माह में कल्पवास मेला क्षेत्र में गंगा नदी की बाढ़ का पानी घुस जाने और रास्ते में कीचड़ हो जाने के कारण श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसकी सूचना मिलने पर हमने जल संसाधन विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ सिमरिया जाकर कल्पवासियों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जरूरी कार्य करवाया था। इसके बाद जल संसाधन विभाग ने सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण का एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया।
नवंबर 2022 में नीतीश कुमार ने सिमरिया कल्पवास मेला क्षेत्र का भ्रमण किया था और श्रद्धालुओं तथा साधु-संतों का फीडबैक लिया था.उन्होंने सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार कॉन्सेप्ट प्लान की स्थल पर समीक्षा कर विस्तृत योजना तैयार करने के निर्देश दिये थे. मुख्यमंत्री के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए 114.97 करोड़ रुपये की विस्तृत योजना तैयार की, जिसे 22 मार्च 2023 को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिली. योजना का कार्यारंभ खुद माननीय मुख्यमंत्री ने 30 मई 2023 को किया था. सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण की जल संसाधन विभाग की योजना में मौजूदा राजेंद्र पुल और उसके दक्षिण में निर्माणाधीन सिक्स-लेन सड़क पुल के बीच करीब 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के निर्माण एवं रीवर फ्रंट के विकास के अलावा चेंजिंग रूम, गंगा आरती का स्थान, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंडप, श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था, धर्मशाला, शौचालय परिसर, ओपन एयर थियेटर, पार्क, पार्किंग, पाथवे, प्रशासनिक भवन, वाच टावर और प्रकाश की व्यवस्था इत्यादि को शामिल किया गया है.
इन सभी कार्यों को जून 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल जल संसाधन विभाग ने कल्पवास मेला क्षेत्र में लगभग एक लाख वर्ग मीटर में मिट्टी भराई के अलावा रिटेनिंग वॉल के निर्माण और प्रकाशीय व्यवस्था का कार्य पूर्ण कर लिया है.इस कार्य से कल्पवास मेला क्षेत्र अब बाढ़ से पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. कल्पवास के लिए यहां पर्ण कुटीर बनाकर रहने वाले श्रद्धालुओं को अब गंगा की बाढ़ से परेशानी नहीं होगी।.इसके अलावा धर्मशाला के फाउन्डेशन का कार्य प्रगति पर है। लगभग 150 मीटर लंबाई में शीट पाईलिंग का कार्य पूर्ण करा लिया गया है। करीब 80 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट का निर्माण प्रगति पर है। हमलोगों का प्रयास है कि सिमरिया धाम गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक के सबसे सुंदर तीर्थ के रूप में विकसित हो. हरिद्वार स्थित ‘हर की पौड़ी’ गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे नहीं, बल्कि इसकी शाखा के किनारे अवस्थित है. आधुनिक सुविधाओं के विकास के बाद सिमरिया धाम आने वाले श्रद्धालुओं को सुखद अनुभूति होगी. इससे यहां धार्मिक पर्यटन का तेजी से विकास होगा और आसपास के इलाके में होटल तथा परिवहन सहित कई तरह के कारोबार एवं रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
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