लोक लुभावन नहीं है बजट
सर्विस टैक्स नहीं बढ़ाकर सरकार ने दी सबको राहत
आयकर में 5 फीसदी की छूट से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत
पार्टियों के फंडिंग पर लगाम को सलाम
सरकार द्वारा पेश किये गए बजट से कई लोगों को काफी उम्मीदें है तो कई लोग अभीतक इसपर माथापच्ची में ही उलझे हैं। पटना नाउ ने कुछ आर्थशस्त्रियों से जानी इस बजट पर राय…
बजट 2017 पर आरा के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, प्रोफेसर राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि नोट बंदी के बाद मार्केट में गिरावट की वजह से कुछ अलग से उपाय नहीं किया गया है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को कर के दायरे में लाने के लिए टैक्स रेट को घटाया गया है. लेकिन व्यावसायिक वर्ग के लिए बढ़ाया गया रेट टैक्स चोरी में कटौती की जगह टैक्स चोरी जारी रखेगा.
उन्होंने बताया कि बेस को ब्रॉड करना चाहिए था और रेट ऑफ़ इंटरेस्ट कम होना चाहिए था. हां पोलिटिकल पार्टियों के लिए जो 2000/- तक के कैश की बात हुई है उसकी वजह से ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा. ये एक हिम्मत वाला फैसला है।
व्यवसाय में निवेश बढ़ेगा. लोक लुभावन बजट नहीं है इस बार. रोजगार सृजन की बात कहीं नहीं है. क्योंकि10लाख प्रति माह बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है. इसपर ध्यान देना चाहिये था.
वही प्रोफेसर कन्हैया बहादुर बताते है कि 15% अधिभार बढना व्यावसायिक क्षेत्र के लिए अच्छा संकेत है. नोटबंदी के असर से प्रभावित होकर बजट पर ध्यान दिया गया है. संन्तुलित बजट है. निवेश पर ध्यान दिया गया है साथ ही पार्टियों के ब्लैक फंडिंग पर रोक का जो निर्णय लिया गया है वो काबिले तारीफ है. ऐसा किसी सरकार ने नहीं किया था. साथ ही पांच राज्यों के चुनाव की भी बिना परवाह किये लोक लुभावन बजट नहीं बनाया गया. कुल मिलाकर कहेंं तो एक अच्छा बजट है और सरकार ने नोट बंदी से मिले फायदे को जनता की झोली में इन्वेस्ट के रूप में डाला है.
रिपोर्ट- आरा से ओपी पांडे