निराशा का सवाल नहीं, अदालत का निर्णय सर आंखों पर
30 सालों से वे समाज सेवा में हैं.
परेशान और जरूरतमंद लोगों का काम आसान करवाना उनका शगल
नगर निकाय चुनाव स्थगित होने के बाद से उदासी छाई है. चुनाव प्रचार अभियान चरम पर पहुंचने के करीब आया कि पटना हाई कोर्ट का निर्णय आ गया. इसमें कहा गया कि ईबीसी के लिए आरक्षित की गई सीटों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की राज्य सरकार ने अनदेखी की है.हुक्म हुआ है कि चल रही चुनाव प्रक्रिया स्थगित कर दी जाए. इसके बाद से उम्मीदवार और उनके समर्थकों में निराशा फैल गई है.
कोर्ट ने कहा है कि पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन हो और तब चुनाव करा लिए जाएं. हालांकि चुनाव आयोग की तरफ से सिर्फ चुनाव की तिथि स्थगित की गई है. आचार संहिता लागू है. 9 सितंबर को जारी चुनाव आयोग की अधिसूचना यथावत है. जिला प्रशासन के मुताबिक चुनाव के लिए बनाए गए तमाम कोषांग अस्तित्व में हैं और बजाप्ता कार्यरत हैं.बावजूद इसके प्रचार थम सा गया है और अधिकांश उम्मीदवार संचार माध्यमों की ओर टकटकी लगाए हैं. सरकार के किसी निर्णय का उन्हें इंतजार है.
मेयर पद के एक उम्मीदवार मधुबाला सिन्हा तो प्रचार छोड़ कर दरभंगा और पटने में धरना दे आई हैं, तो दूसरी तरफ मेयर पद के ऐसे उम्मीदवार भी हैं जिन्होंने चुनाव अभियान नहीं रोका है, इन्ही में से एक हैं रीता सिंह.
रीता कहती हैं कि कोर्ट और सरकार का चुनाव के संबंध में अपना रोल है. उनका कहना है कि कोर्ट के फैसले से वो नेता दुखी हैं जो व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकाल कर इन पदों पर चुनाव लड़ने आ जाते हैं. इस क्रम में वे समाज को ठगने और सामाजिक जीवन में क्लेश पैदा करते हैं. रीता सिंह कहती हैं कि 30 सालों से वे समाज सेवा में हैं। परेशान और जरूरतमंद लोगों का काम आसान करवाना उनका शगल है। उनके लिए ये हर दिन का काम है। उनका कहना है कि चुनाव प्रचार के बीच भी इसके लिए समय निकाल लेती हैं। ये काम अनवरत चालू रहेगा… पद पर रहें या ना रहें।
संजय मिश्र,दरभंगा