EESL 10,000 इलेक्ट्रिक वाहन टाटा मोटर्स से खरीदेगी
अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये ठेका दिया गया
इलेक्ट्रिक वाहन दो चरणों में खरीदे जाएंगे, प्रथम 500 कारें नवंबर, 2017 तक सड़कों पर दौड़ने लगेंगी
केन्द्र सरकार का उपक्रम एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) 10,000 इलेक्ट्रिक वाहन टाटा मोटर्स लिमिटेड से खरीदेगा. इस कंपनी का चयन एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये किया गया जिसका उद्देश्य भागीदारी में वृद्धि करना था. यह ठेका टाटा मोटर्स को मिला है और टाटा मोटर्स अब दो चरणों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की आपूर्ति करेगा. EESL को प्रथम 500 E-कारों की आपूर्ति नवंबर 2017 में की जाएगी और शेष 9500 EV की आपूर्ति दूसरे चरण में की जाएगी.
EESL आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थायित्व में संतुलन बैठाते हुए उत्कृष्ट तकनीकी सोल्यूशंस को तेजी से अपनाने के उद्देश्य के साथ काम कर रहा है. अपनी इस विशिष्ट पहल के जरिये EESL मांग और बल्क खरीद के एकत्रीकरण के अपने अनूठे बिजनेस मॉडल के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार सृजित करना चाहता है. यह एक ऐसी तकनीक है जिससे देश में E-मोबिलिटी का तेजी से बढ़ना तय है.
टाटा मोटर्स लिमिटेड ने प्रतिस्पर्धी बोली में 10.16 लाख रुपये की न्यूनतम कीमत का उल्लेख किया जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (GST) शामिल नहीं है. EESL द्वारा यह वाहन 11.2 लाख रुपये में मुहैया कराया जाएगा जिसमें जीएसटी और 5 साल की व्यापक वारंटी शामिल होगी. यह कीमत 3 साल की वारंटी वाली समान E-कार के वर्तमान खुदरा मूल्य से 25 फीसदी कम है.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये 10,000 EV की खरीदारी के साथ-साथ EESL एक सेवा प्रदाता एजेंसी की भी पहचान करेगी. इस एजेंसी की नियुक्ति भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये ही की जाएगी. यह एजेंसी संबंधित सरकारी ग्राहक के लिए खरीदे गए वाहनों का समग्र बेड़ा प्रबंधन करेगी. इन कारों का उपयोग अगले 3-4 वर्षों के दौरान सरकार एवं उसकी एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली पेट्रोल एवं डीजल कारों के प्रतिस्थापन में होगा. सरकार एवं उसकी एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल में लाए जाने वाले वाहनों की संख्या अनुमानित 5 लाख है.
इस कार्यक्रम के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू किए जाने से तेल आयात पर निर्भरता घट जाएगी और भारत में विद्युत क्षमता वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ जाएगी और इसके साथ ही परिवहन क्षेत्र से होने वाला GHG (ग्रीन हाउस गैस) उत्सर्जन भी घट जाएगा.