कोरोना संक्रमण से मृत नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को भी राज्य के अन्य कर्मियों की भांति मुआवजा, आश्रितों को सरकारी नौकरी एवं विशेष पारिवारिक पेंशन देने की मांग
विश्वविद्यालयों की तरह विद्यालयों में भी समय से पूर्व ग्रीष्मावकाश की छुट्टी घोषित की जाय
पटना, 2 मई।। आल इंडिया फेडरेशन ऑफ एजुकेशन एसोसिएशन (एआईएफईए) के राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र कुमार शर्मा “शैलू” एवं राज्य पार्षद सह पूर्व सदस्य शैक्षिक परिषद जयनंदन यादव ने राज्य सरकार से कोरोना संक्रमण से मृत नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को भी राज्य के अन्य कर्मियों की भांति 50 लाख रुपए मुआवजा, आश्रितों को सरकारी नौकरी एवं विशेष पारिवारिक पेंशन देने की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना लागातार घातक हो रहा है एवं इसकी भयावहता किसी से छुपी नहीं है. बिहार में भी अब तक एक लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और कईयों ने अपनी जान गंवा दी है.
एआईएफईए के राष्ट्रीय सचिव शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि सरकार के आदेश पर गत् वर्ष की तरह इस वर्ष भी नियोजित शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष अन्य कर्मियों की भांति कोरोना वारियर्स की तरह विभिन्न कोरोंटाइन और कोविड केयर सेंटर सहित अन्य जगहों पर पुरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं. साथ ही आज हजारों शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें कई गंभीर हालत में अस्पतालों में इलाजरत है तथा अब तक लगभग 150 से अधिक शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों ने अपनी जान गंवाई है.
राज्य पार्षद सह पूर्व सदस्य, शैक्षिक परिषद जयनंदन यादव ने कहा कि नियोजित शिक्षक एवं पुस्तकालयाध्यक्ष राज्य सरकार के अनुसार भले ही पंचायती राज एवं नगर निकायों के कर्मी है मगर वे भी राज्य के नागरिक व राज्य में ही कार्यरत हैं और सरकार के आदेश पर ही कार्य कर रहें हैं. ऐसे में उनके साथ इस प्रकार का सौतेला व्यवहार कहीं से उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के आदेश पर विद्यालयों में शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को 25% उपस्थिति की अनिवार्यता की गई है. मगर दूसरी तरफ कोरोना की भयावहता को देखते हुए राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश से राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में समय से पूर्व 1 मई से 30 मई तक गर्मी की छुट्टी घोषित कर दी गई है.
श्री शैलेन्द्र ने कहा कि विद्यालयों में पठन-पाठन बंद है मगर शिक्षकों,शिक्षकेत्तरकर्मी एवं प्रधानों को विद्यालय आने की बाध्यता होने के कारण उनमें तेजी से संक्रमण फैल रहा है क्योंकि उनमें अधिकांश कर्मियों द्वारा सार्वजनिक परिवहन का उपयोग किया जाता है. जयनंदन का कहना है कि एक तरफ तो सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से लोगों को घर में रहने की हिदायत दे रही है और लागतार इसके लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ अकारण शिक्षकों को विद्यालय आने का आदेश जारी कर रही है. जिस वजह से एक-दूसरे के संपर्क में आकर ना सिर्फ वो बल्कि उनके परिजन भी संक्रमित हो रहें हैं.
उनकी मांग है कि सरकार अविलंब कोरोना संक्रमण से मृत नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को भी राज्य के अन्य कर्मियों की भांति 50 लाख रुपए मुआवजा, आश्रितों को सरकारी नौकरी एवं विशेष पारिवारिक पेंशन देने की घोषणा के साथ साथ शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मियों एवं उनके परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अविलंब समय से पूर्व ग्रीष्मावकाश की छुट्टी घोषित करें.
राजेश तिवारी