इसबार इको फ्रेंडली विशाल रावण का बनेगा पुतला
35 से 40 फीट ऊंचा होगा रावण का पुतला
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए रावण के पुतले का होगा निर्माण
चित्रकार संजीव सिन्हा व टीम बनाएगी रावण का पुतला
विजयदशमी के दिन होगा रावण के पुतले का दहन
आरा,31 अगस्त. शारदीय नवरात्र के अवसर पर 18 दिवसीय रामलीला के आयोजन को लेकर तैयारी तेज हो गई है. लोक परंपरा के अनुसार विजयदशमी को रामलीला मैदान में रावण के पुतले का दहन होता है. इस बार 35 से 40 फीट के विशाल रावण के पुतले का निर्माण किया जाएगा. आरा शहर के चर्चित चित्रकार संजीव सिन्हा रावण के पुतले का निर्माण करेंगे. बताते चलें कि संजीव सिन्हा की कृतियां हमेशा सुर्खियों में रहती है. उन्होंने अपने काम से न सिर्फ अपनी बल्कि इस जिले की पहचान भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर दिलाया है. संजीव भोजपुर में रावण के विशालकाय प्रतिमा की शुरुआत करने वाले पहले शख्स हैं इसके पहले इतने बड़े पुतले कक निर्माण नही होता था. रावण के पुतले का निर्माण पहली बकर संजीव ने 25 फिट का किया था. अब वह बढ़कर 40 तक पहुंच गया है.
रावण के पुतले के निर्माण को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है. चित्रकार संजीव सिन्हा ने बताया कि इस बार रावण के पुतले का निर्माण पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किया जाना है. इसमें कोई भी ऐसी सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जो जलने पर ज्यादा प्रदूषण फैलाए. इस बार रावण के पुतले के निर्माण में सबसे ज्यादा इस्तेमाल जुट का किया जाना है. रावण के कपड़ों के लिए जुट का इस्तेमाल किया जाएगा. पुतला निर्माण में 15 दोनों का वक्त लगेगा. इसमें प्रतिदिन 6 से 7 आदमी काम करेंगे. पुतले की ऊंचाई 35 से 40 फीट की होगी.
आरा नगर रामलीला समिति की अध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह ने बताया कि रावण के पुतले के निर्माण को लेकर तैयारी पूर्ण कर ली गई है. पुतला निर्माण को लेकर चित्रकार संजीव सिन्हा को जिम्मेवारी सौंपी गई है. इस बार विजयदशमी के दिन भव्य कार्यक्रम के बीच रावण के पुतले का दहन होगा जो लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र होगा. इको सिस्टम को सपोर्ट करने के बाद भी बनने वाला रावण क्या अपना अस्तित्व बचा पायेगा? इस सवाल का जवाब जब पटना नाउ ने कई लोगों से पूछा तो सभी सोच में पड़ गए! कुछ देर की खामोशी के बाद सबका जवाब यही था कि बुराई का प्रतीक रावण कितना भी प्यारा क्यों न बने अगर उसका अंत नही होगा तो फिर मैसेज गलत जाएगा. इसलिए उसका जलना तो तय है.
अब यह बात अलग है कि रावण के पुतले को इको फ्रेंडली बनाया जा रहा है लेकिन जलेगा तो रावण ही क्योंकि बुराई चाहे जैसी भी हो उसका तो अंत ही होता है. वह बाहरी आवरण में दिखने वाली हो या फिर आपके अंदर.