चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने हों तो इसके लिए सभी राजनीतिक दलों की सहमति जरूरी है. आयोग ने कहा कि वो इसके लिए तैयार है. चुनाव आयुक्त OP रावत ने कहा कि चुनाव आयोग का हमेशा से नजरिया रहा है कि एक साथ चुनाव कराने से निवर्तमान सरकार को आदर्श आचार संहिता लागू होने से आने वाली रूकावट के बगैर नीतियां बनाने और लगातार कार्यक्रम लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा.
बता दें कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा विधानसभाओं के चुनाव वर्ष 2019 के मध्य में अगले आम चुनाव के साथ होने हैं. OP रावत ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने पर निर्वाचन आयोग से 2015 में अपना रुख बताने को कहा गया था. उन्होंने कहा कि संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून में जरूरी बदलाव करने के बाद ही एक साथ चुनाव कराना मुमकिन हो सकेगा. मौजूदा कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किसी राज्य की विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले तक चुनाव कराए जा सकते हैं.