3,000 किस्म के आम का प्रदर्शन ज्ञान भवन पटना में
राज्यस्तरीय आम महोत्सव-सह-प्रतियोगिता कार्यक्रम का किया उद्घाटन
आम खाओ प्रतियोगिता, आम नक्काशी प्रतियोगिता और आम फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन
16-18 जून, 2023 तक ज्ञान भवन, गाँधी मैदान, पटना में आयोजन
यह आम महोत्सव काफी अद्भुत है. लोगों को आम महोत्सव का इंतजार रहता है-संजय कुमार अग्रवाल
कृषि विभाग बिहार के सचिव संजय कुमार अग्रवाल छाया : नागेन्द्र
राजधानी पटना में आम के प्रेमियों ख़ास कर बच्चों के लिए एक अच्छी खबर है वो आम खा कर,आम पर नक्काशी और आम फैशन शो प्रतियोगिता में शामिल हो सकते है साथ ही जीत सकते हैं पुरस्कार. कृषि विभाग बिहार के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने शनिवार को राज्यस्तरीय आम महोत्सव-सह-प्रतियोगिता कार्यक्रम का उद्घाटन किया . इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि विभाग द्वारा दिनांक 16-18 जून, 2023 तक ज्ञान भवन, गांधी मैदान, पटना में किया गया है. सचिव, कृषि विभाग संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि यह आम महोत्सव काफी अद्भुत है. लोगों को आम महोत्सव का इंतजार रहता है. यह समय आम के लिए खास हो जाता है. इस महोत्सव से शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आम के संबंध में पता चलता है कि इसके कितने प्रभेद होते हैं. आम के उत्पादों को बढ़ावा देना हमारे लिए चुनौती है. आम के भण्डारण पर काम करना है, ताकि 2 से 3 महीने बाद तक इसका उपयोग किया जा सके.
आम महोत्सव का आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य में उत्पादित विशिष्ट प्रजाति के साथ क्षेत्रीय खास प्रजाति से लोगों को रूबरू कराना एवं बाजार की सम्भावना को तलाशना है. आम उत्पादक कृषकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ाने एवं फलों के भंडारण, प्रसंस्करण, बाजार आदि से संबंधित नयी-नयी तकनीकी की जानकारी कृषकों तक पहुँचाने के उद्देश्य से आम महोत्सव का आयोजन किया गया है. स्वाद एवं रंगत की इस महोत्सव का आनंद आम जन दो दिनों तक ले पायेंगे. राज्य में आम के प्रमुख प्रजाति के साथ विभिन्न क्षेत्रों में कुछ खास प्रजाति के आम उत्पादित होते हैं जैसे जर्दालू आम का उत्पादन भागलपुर, जर्दा पश्चिमी चम्पारण, कृष्णा भोग मधुबनी, कलकतिया दरभंगा, बम्बईया सीतामढ़ी, गुलाब खास सुपौल, मालदह मधेपुरा एवं कटिहार, दीघा मालदह पटना, चैसा बक्सर, बथुआ समस्तीपुर तथा चूरम्बा मालदह मुंगेर जिला में होता है.बिहार राज्य में कुल 3.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फलों की खेती की जाती है, जिसका उत्पादन क्षेत्र 45.09 लाख मेट्रिक टन है, जिसमें आम, केला, लीची, पपीता प्रमुख हैं. फलों में आम का 1.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 15.50 लाख टन का उत्पादन होता है.
इस आम महोत्सव में राज्य के विभिन्न जिलों के 605 आम उत्पादकों एवं उद्यमियों द्वारा आम एवं इसके प्रसंस्कृत उत्पाद के 3,000 किस्म के आम का प्रदर्शन किया गया है. प्रदर्शनी आम के मध्यावधि किस्में मालदह, दशहरी, कृष्ण भोग, भरत भोग, हुस्न-ए-आरा, लाल आम, फजली, सुकुल, सिपिया, चैसा आदि प्रजाति के साथ कुछ विशिष्ट संकर किस्में एवं बीजू आम से सजी हुई है. आम के प्रसंस्कृत उत्पादों में कच्चा आम स्क्वैश, आम का पन्ना, जेली, जैम, पका आम का स्क्वैश, चटनी, अमावट, अचार आदि प्रदर्शित किया गया है. बच्चों के मनोरंजन के लिए ”आम खाओ प्रतियोगिता“, ”आम फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता“ का आयोजन किया गया है. वहीं कलाकारों के लिए ”आम नक्काशी प्रतियोगिता“ का भी आयोजन किया गया है. इस प्रदर्शनी में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के द्वारा विशिष्ट प्रजाति के आमों का प्रदर्शन किया गया है. बिहार में उत्पादित आम के विभिन्न प्रजातियों में भागलपुर के जर्दालू आम को जी॰आई॰ टैग प्रदान किया गया है, जो इस प्रभेद के लिए हमारी भौगोलिक अनुकूल परिस्थितियों को दर्शाती है. आम के जर्दालू प्रजाति के उत्पाद कृषकों को जी॰आई॰ टैग के महत्व को फलों के मूल्यवर्धन में उपयोग करना होगा.
प्रतियोगिता के आठ वर्गों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 33 कृषकों को प्रथम, 33 कृषकों को द्वितीय एवं 29 कृषकों को तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमशः 5,000 रूपये, 4,000 रूपये एवं 3,000 रूपये के साथ प्रशस्ति-पत्र प्रदान की जायेगी. इसके साथ ही, आनलाईन बिजनेस को प्रोत्साहित करने के लिए बिग बास्केट, जियो मार्ट, देहात, पी॰ए॰ए॰एफ॰, ग्लोबल, कमला इन्टरनेशनल, सुमन वाटिका, रिलायन्स आदि को आमंत्रित किया गया है. साथ में, इंडियन इन्स्टिच्यूट ऑफ़ हार्टिकल्चर रिसर्च, बैंगलोर, सेन्ट्रल इन्स्टिच्यूट ऑफ़ सब ट्रापिकल होर्टिकल्चर, लखनऊ, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा आम के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं भंडारण के संबंध में नयी-नयी तकनीकी की जानकारी प्रदान किया जा रहा है. प्रमुख फलों के साथ हमारे पारंपरिक फल बेल, जामुन, कटहल, आँवला, बेर आदि विलुप्त होती जा रही है. इसे संरक्षित करने एवं बागों को बढ़ाने की आवश्यकता है.
इस अवसर पर कृषि निदेशक डॉ आलोक रंजन घोष, निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार, संयुक्त सचिव शैलेन्द्र कुमार, अपर निदेशक (शष्य) धनंजयपति त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक उद्यान राधा रमण, उप निदेशक उद्यान देवनारायण महतो एवं नितेश कुमार, कृषि वैज्ञानिक सहित विभागीय पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण सहित बड़ी संख्या में आम उत्पादक किसान/उद्यमी तथा अन्य लोग उपस्थित थे.
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