शोध के बाद बदल सकता है पृथ्वी पर जीवन के इतिहास
बदलेगा इतिहास,संरचनाओं का आधार जैविक ही क्यों
पहले से था बैक्टीरिया का अस्तित्व
पृथ्वी के शुरुआती इतिहास पर हुए नए अध्ययन में बताया गया है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत ज्यादा पहले से हुई थी. इसको लेकर हुए पिछले अध्ययन में माना गया था कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के संकेत सूक्ष्मजीवाश्मों में मिले थे जिन पर संदेह भी जताया गया था. नए अध्ययन में पता चला है कि पृथ्वी के बनने के 30 करोड़ साल बाद ही विविध बैक्टीरिया बनने लगे थे.
पृथ्वी पर जीवन के इतिहास में जीवन कब शुरू हुआ था इसका बहुत महत्व है. यह जानने के लिए पहले वैज्ञानिक सूक्ष्म जीवाश्मों का अध्ययन करते थे. लेकिन इस पद्धति की विश्वनीयता पर कई वैज्ञानिकों संदेह भी था. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म जीवों से बड़े संकेत प्रमाण के रूप में पाए हैं और पाया है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत, जितना पहले समझा जा रहा था, उससे 30 करोड़ साल पहले से हुई थी. माना जा रहा है कि इसकी पुष्टि होने पर पृथ्वी पर जीवन के इतिहास बदल सकता है.
कनाडा के क्वेबेक में मुट्ठी के आकार के पत्थर के विश्लेषण के आधार पर हुई खोज से पता चला है कि पृथ्वी पर जदीन 3.75 से लेकर 4.28 अरब साल पहले अस्तित्व में आ गया था। इससे पहले शोधकर्ताओं ने चट्टान में छोटे फिलामेंट, नॉब्स और नलियां पाई थीं जिनके बारे में माना गया था कि इनका निर्माण बैक्टीरिया ने किया है। लेकिन आकृतियों की उत्पत्ति का जैविक आधार होने पर संदेह किया जा रहा था।इसलिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की टीम ने फिर से विश्लेषण करने के पत्थर के अंदर ज्यादा बड़ी और जटिल संरचनाओं की खोज की वाली करीब नली निकली। इस नली में एक तरफ समांतर एक सेंटीमीटर लंबी शाखाएं थीं जिसके साथ टनली और फिलामेंट के साथ सैकड़ों विकृत गोले थे.
अब साइंस एडवांस में प्रकाशित अध्ययन के असार यूसीएलके शोधकर्ताओं का मानना है कि जहां कुछ सरंचरनाओं की निर्माण संयोगवश रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा हो सकता है, पेड़ के जैसे तने और शाखाओं वाली संरचना की उत्पत्ति का आधार जैविक ही रहा होगा क्योंकि इस तरह का कोई भी आकार रसायनों द्वारा अभी तक नहीं बनाया जा सका है.इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूसीएल में भूरसायन और खगोलजीवविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ डोमिनिक पॉपिनो ने एक बयान में बताया कि बहुत सारे अलग- अलग कतार के प्रमाणों का उपयोग कर उनका अध्ययन पक्के तौर पर सुझाता है कि पृथ्वी पर 3.75 और 4.28 अरब साल के बीच भांति भांति के बैक्टीरिया हुआ करते थे.
डॉ पॉपिनो ने आगे बताया कि इसका मतलब यही है की जीवन पृथ्वी के बनने के 30 करोड़ साल के बाद शुरू हो गया होगा. भूगर्भीय संदर्भों में यह समय बहुत कम है जो सूर्य के गैलेक्सी के एक चक्कर के बराबर है. इस पड़ताल के नतीजों का संभवतः पृथ्वी के बाहर के जीवन पर भी प्रभाव पड़ा होगा, क्योंकि अगर सही हालात मिले तो जीवन दूसरे ग्रहों पर भी तेजी से पनप सकता है.इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस बात के प्रमाण भी जुटाए कि बैक्टीरिया कैसे अलग अलग तरीकों से ऊर्जा हासिल करते हैं. उन्होंने चट्टानों ऐसे खनिज युक्त रासायनिक उपोत्पाद खोजे जो लोहा, सल्फर और संभवतः कार्बन डाइऑक्साइड एवं प्रकाश निकालने वाले पुरातन सूक्ष्मजीवों के उपोत्पाद या अपशिष्ट से मेल खाते थे.
शोधकर्ताओं ने बताया कि उनकी पड़ताल सुझाती है कि पुरातन पृथ्वी में विविधता भरा सूक्ष्म जीवन रहा होगा जो ग्रह बनने के 30 करोड़ साल बाद ही पनप गया होगा. इस खुलासे से पहले जो सबसे पुराने जीवाश्म मिले थे वह पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में मिले थे जो 3.46 अरब साल पुराने निकले थे जबकि कुछ शोधकर्ताओं ने उन्हें जीवाश्म मानने से भी इनकार कर दिया था.
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