प्राधिकरण विभागों के साथ जलवायु परिवर्तन-शमन एवं अनुकूलन पर करेगा कार्य    




बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर 

पटना, 23 अगस्त 2024: बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आज एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार में जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने और इससे निपटने के लिए विभिन्न विभागों के बीच सहयोग को सशक्त बनाने पर विशेष जोर दिया गया. बैठक का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के बारे में समझ को बढ़ाना, संबंधित विभागों को इस कार्यक्रम के लिए प्रेरित करना, और कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आपसी सहयोग को प्रोत्साहित करना था. बैठक का आयोजन माननीय उपाध्यक्ष डॉ. उदयकांत के दिशानिर्देश में और माननीय सदस्य कौशल किशोर मिश्र की अध्यक्षता एवं नरेंद्र सिंह, प्रकाश कुमार के मार्गदर्शन में किया गया.

बिहार भारत के सबसे जलवायु-संवेदनशील राज्यों में से एक है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती तीव्रता और आवृत्ति वाले मौसम की घटनाओं का सामना कर रहा है. पिछले सदी में राज्य का औसत तापमान लगभग 0.8°C बढ़ा है, जिससे हीटवेव और गर्मी के दिनों में वृद्धि हुई है. 2019-2023 के बीच अनिश्चित मानसून के कारण 22% वर्षा की कमी देखी गई, जिससे बाढ़ और सूखे की स्थितियाँ उत्पन्न हुईं. बिजली गिरने की घटनाओं में 2010 से 34% से अधिक की वृद्धि हुई है, और ठंडी लहरें भी अधिक सामान्य हो गई हैं. बिहार की भौगोलिक स्थिति, विशेष रूप से गंगा, कोसी, गंडक, और बागमती नदियों के कारण, राज्य की 73% भूमि वार्षिक बाढ़ की चपेट में रहती है, जिससे यह क्षेत्र अत्यधिक जलवायु जोखिमों का सामना कर रहा है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए जलवायु अनुकूलन और आपदा प्रबंधन पर विशेष ध्यान देते हुए बैठक के दौरान बिहार में जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रभावी ज़िम्मेदारी बढ़ाने के लिए विभिन्न विभागों की भूमिकाओं पर विस्तार से चर्चा की गई.

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, वन्यजीव प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण अभियानों और संवेदीकरण, जागरूकता एवं क्षमतावर्द्धन कार्यक्रमों की योजना प्रस्तुत की. विभाग ने अन्य विभागों के साथ समन्वय और सहयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया.

लघु जल संसाधन विभाग ने सिंचाई के लिए जमीन की प्राकृतिक ढलान का उपयोग, लिफ्ट सिंचाई योजनाओं के विकास, और जल जीवन हरियाली मिशन के साथ लघु सिंचाई का एकीकरण करने के कार्यक्रमों पर जोर दिया. विभाग ने सतही और भूमिगत जल स्रोतों के प्रभावी उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया.

ऊर्जा विभाग ने सौर ऊर्जा कार्यक्रमों को बढ़ावा देने, पवन और जल ऊर्जा प्रणालियों की स्थापना में वृद्धि करने, और ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए राज्य स्तरीय पहल की दिशा में अपने कार्यक्रमों की जानकारी दी. विभाग ने स्मार्ट ग्रिड प्रौद्योगिकियों के विकास और इसे लागू करने की योजनाओं को भी साझा किया.

स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना और मानव स्वास्थ्य के अनुरूप गर्मी से संबंधित बीमारी प्रबंधन और निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड विकसित करने की पहल के बारे में की जानकारी साझा की.

कृषि विभाग ने जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रमों के तहत अल्पावधि बीज किस्मों के विकास, बाढ़ और सूखा रोधी फसल तकनीकों के विस्तार, और कृषि कीटों से सुरक्षा हेतु व्यापक अभियानों की योजना प्रस्तुत की. विभाग ने कृषि विकास की वार्षिक योजनाओं में जलवायु जोखिम को कम करने के उपायों को शामिल करने का संकल्प लिया.

शहरी विकास और आवास विभाग ने सुरक्षित नगरीय परिदृश्य विकसित करने, ग्रीन स्पेसेज के निर्माण, और शहरी बाढ़ प्रबंधन के लिए डिजिटल ट्विन जैसी योजनाओं को लागू करने पर बल दिया. विभाग ने वर्षा जल प्रबंधन के उच्च स्तरीय योजनाओं के विकास पर भी जोर दिया.

ग्रामीण विकास विभाग ने जलवायु-अनुकूल कृषि तकनीकों, भूमि संरक्षण परियोजनाओं और जल संसाधन प्रबंधन के कार्यों को प्राथमिकता दी. विभाग ने कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ भागीदारी कर किसानों के लिए कार्यशालाओं के आयोजन और कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई.

इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी विभाग आपस में समन्वय कर जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए प्रभावी योजनाओं का निर्माण करेंगे और उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करेंगे. बैठक में जीविका, मनरेगा, जल जीवन हरियाली सहित संबंधित विभागों के प्रतिनिधि एवं प्राधिकरण के सभी पदाधिकारीगण उपस्थित थे. कार्यक्रम का विषय प्रवेश एवं संचालन प्राधिकरण के वरीय सलाहकार डॉ. अनिल कुमार ने किया.   

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By pnc

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