बिहार में डूबने से मौतों में हो रही वृद्धि को देखते हुए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जन जागरुकता अभियान चलाएगा. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और प्राधिकरण राज्य और जिला स्तर पर ऐसे अभियान चलाएगा. मंगलवार को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यास जी की अध्यक्षता में बिहार में पानी में डूबने से होने वाली मौतों की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा करने के लिए एक बैठक हुई. बैठक में यूनिसेफ के राज्य प्रमुख यामीन मजूमदार के अलावा आपदा प्रबंधन विभाग, NDRF, SDRF, कई जिलों के नोडल पदाधिकारी और विभिन्न NGOs के प्रतिनिधि और प्राधिकरण के पदाधिकारी शामिल थे. बैठक में इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचाव के उपायों पर विचार किया गया और दो निर्णय लिए गए. यूनिसेफ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें आपदा प्रबंधन विभाग, NDRF, SDRF, RISU, प्राधिकरण और कुछ INGOs एवं समुदाय के सदस्य शामिल होंगे. यह कमेटी इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करेगी.
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने डूबने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए जिला प्रशासन और आम लोगों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं-
- खतरनाक घाटों के किनारे ना तो खुद जाएं और ना ही किसी को जाने दें
- बच्चों को नदी या तालाब में नहाने से रोकें.
- यदि तैरना जानते हों तभी नदी/घाट के किनारे जाएं
- यदि जरूरी हो तो नदी के किनारे जाएं, परंतु नदी में उतरते समय गहराई का
ध्यान रखें. - डूबत हुए व्यक्ति को धोती, साड़ी, रस्सी या बांस की सहायता से बचाएं.
- डूबे हुए व्यक्ति को पानी से निकालकर तुरंत आॅक्सीजन उपलब्ध कराएं. अगर
आॅक्सीजन ना मिले तो कृत्रिम सांस मुँह से मुँह के द्वारा या अन्य विधि से. - डूबे हुए व्यक्ति का पेट फूले होने की स्थिति में पेट से पानी निकालने की प्रक्रिया
भी साथ-साथ की जाए. - डूबे हुए व्यक्ति की नाड़ी (पल्स) बंद होने की स्थिति में तुरंत सीपीआर की
कार्रवाई की जाए - खतरनाक घाटों की पहचान कर उन पर खतरनाक/ चेतावनी का साइन लगाया जाए.