JNU के अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में भोजपुरी भाषा मे शामिल किया अपना शोध पत्र

आरा,25 फरवरी(ओ पी पांडेय). अक्सर ऐसा देखा जाता है कि भोजपुरी भाषी लोग अपनी मातृभाषा को बोलने या लिखने में शर्माते या हिचकिचाहते हैं. घर और गाँव तक तो उनकी खूब फर्राटेदार भोजपुरी चलती है लेकिन बाहर निकलते हैं उनकी मातृभाषा हिंदी या कोई और भाषा बन जाती है. लगभग 30 करोड़ की आबादी में बोली जाने वाली भोजपुरी की यही सच्चाई है. लेकिन इन हिचकिचाहट के बीच भोजपुर मुख्यालय आरा के VKSU के भोजपुरी विभाग के ही एक छात्र ने भोजपुरी भाषा में JNU जैसे प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान में भोजपुरी भाषा में ही शोध पत्र प्रस्तुत कर अपनी मातृभाषा ही नही बल्कि 30 करोड़ भोजपुरिया का मान गर्व से ऊंचा किया है.




भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद और मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर भारतीय भाषा केंद्र, JNU में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया. इस सेमिनार में भोजपुरी साहित्य व संस्कृति पर केंद्रित शोधपत्र भोजपुरी विभाग के शोधछात्र और मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार के सदस्य रवि प्रकाश सूरज ने प्रस्तुत किया. रवि प्रकाश का शोधपत्र लोकगाथाओं के संकलन संरक्षण में किये गये योगदान पर आधारित था. इस शोधपत्र ने भोजपुरी लोकगाथाओं के संकलनकर्ता प्रसिद्ध विद्वान डॉ अर्जुनदास केसरी की ओर से भोजपुरी लोकगाथाओं के संकलन संरक्षण में किये गये योगदान को रेखांकित किया.

रवि प्रकाश ने अपना शोधपत्र भोजपुरी में ही प्रस्तुत किया. बात दें कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में नेपाल सहित कई देशों के विद्वान शामिल हुए थे.

इस सेमिनार की खास बात यह रही कि संगोष्ठी में कई मातृभाषाओं पर केंद्रीय शोध पत्र प्रस्तुत किये गये, जिन्हें संविधान की 8वीं अनुसूची में अबतक शामिल नहीं किया गया है.

भोजपुरी छात्र संघ ने संगोष्ठी में शोधपत्र प्रस्तुति के लिए विभाग के शोधछात्र रवि प्रकाश सूरज के साथ यशवंत कुमार सिंह, संजय कुमार और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक JNU के डॉ राजेश पासवान को बधाई दी है. रवि प्रकाश के इस प्रस्तुति से न सिर्फ विवि परिवार बल्कि पूरा भोजपुरिया बेल्ट गदगद है. जगह-जगह से लोग उन्हें बधाई संदेश दे रहे हैं. नव युवकों में इस प्रयास के बाद भोजपुरी को लेकर एक नई उम्मीद जग गयी है.

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