बिना अनुमोदन नौकरी कर रही शिक्षिका
बिना जांच के DEO ने की कार्रवाई की अनुशंसा
बक्सर जिले में शिक्षा विभाग का एक और अजीबोगरीब मामला सामने आया है. हरी अनंत हरी कथा अनंता की तर्ज पर चल रहे बक्सर के शिक्षा विभाग में चाहे जितनी बड़ी लापरवाही उजागर हो जाए कम है. ताजा मामला बिना अनुमोदन के नौकरी कर रही शिक्षिका को निलंबित किये जाने का है.
जी हां ! सुनने में अटपटा लगने वाली यह बात सौ फीसद सच है. जिला शिक्षा पदाधिकारी के हस्ताक्षर से उनके कार्यालय से जारी आदेश से इस बात का खुलासा हुआ है. बक्सर के ब्रह्मपुर प्रखंड के बैरिया पंचायत के सपहीं गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में जिस महिला को विभाग शिक्षिका नहीं मानता है. जिसके प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अनुमोदन नहीं मिला वह पिछले चार वर्षों से फर्जी तरीके से स्कूल में पढ़ा रही थी. हालांकि अनुमोदन नहीं मिलने की दशा में उसके वेतन का भुगतान नहीं हुआ है. इस बीच पिछले चार महीने से उसने दुर्घटना की सूचना देकर विद्यालय आना भी बंद कर दिया है. उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई और निलंबन का पत्र जारी किया जाना काफी हास्यास्पद है. हद तो ये कि उसके विरुद्ध नियोजन इकाई को भी कार्रवाई का आदेश जारी किया गया है.
BEO के औचक निरीक्षण में मिली थी गायब
प्राथमिक विद्यालय में यादव टोला सपहीं में 2 दिसंबर को नावानगर के बीईओ ने औचक निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान उस विद्यालय में उक्त शिक्षिका किरण कुमारी विद्यालय से नदारद पायी गयीं थी. इसके बाद बीईओ ने अपना निरीक्षण प्रतिवेदन 31 जनवरी को जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौप दिया था. उसी के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 16 फरवरी को सस्पेंड करते हुए विभागीय कार्रवाई का निर्देश जारी किया है. सबसे दीगर बात यह रही कि उक्त फर्जी शिक्षिका के विषय में बीईओ और डीईओ ने कुछ जानकारी हासिल किये बगैर उसपर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा कर दी. इस दौरान उसका निलंबन अवधि के क्रम में ब्रह्मपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय को ही मुख्यालय भी घोषित कर दिया गया.
शिक्षिका नहीं, फिर भी बनाई हाजिरी
ब्रह्मपुर प्रखंड के BRC प्रभारी जयप्रकाश तिवारी ने बताया कि किरण कुमारी समेत 12 शिक्षकों को अनुमोदन नहीं मिला है. उन्हें वेतन का भुगतान भी नहीं होता है. लेकिन, विभागीय सूत्र बताते हैं कि उक्त शिक्षिका की हाजिरी बनायीं जा रही थी और इसकी सूचना BEO को भी दी जाती थी. इस बात की पुष्टि BRC प्रभारी ने भी की. उन्होंने बताया कि अक्टूबर के बाद से उसकी हाजिरी नहीं भेजी गयी है.
DEO ने कहा – जांच के बाद कुछ कह पाऊंगा
पूरे मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीकृष्ण सिंह ने कहा कि DM के आदेश पर विभिन्न विद्यालयों में औचक निरीक्षण किया गया था. निरीक्षण प्रतिवेदन के आधार पर कार्रवाई का पत्र जारी किया गया है. अगर, वह शिक्षिका फर्जी है तो उसके लिए कार्रवाई का पत्र जारी नही करना चाहिए था. हालांकि, मामले की जांच कराने के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कह सकते हैं.
विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
मामले की जांच को लेकर जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह शनिवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय पहुंचे. उन्होंने पत्र की प्रति दिखाते हुए कहा कि जिस शिक्षिका को विभाग शिक्षिका नहीं मानता है. उसके नाम से भी निलंबन व विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा किया जाना घोर विभागीय लापरवाही का परिचायक है. दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए.
रिपोर्ट- बक्सर से ऋतुराज