7 नवंबर 2018 बुधवार श्री शुभ संवत 2075 कार्तिक कृष्ण अमावस्या बुधवार दिनांक 7 नवंबर 2018 को सायंकाल सूर्यास्त समय 5:42 से रात्रि में 8:17 तक शास्त्र सम्मत स्पष्ट प्रदोष काल में महालक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है.
धर्म सिंधु के अनुसार —
प्रदोषे दीपदानं लक्ष्मीपूजनादि विहितम्.
इस प्रदोष काल के समय में शाम 6:11 से 8:09 तक वृषभ स्थिर लग्न में श्री महालक्ष्मी पूजन का विशिष्ट महत्व है.
अन्य स्थिर लग्न में वृश्चिक लग्न प्रातः 7:21 से 9:00 बज कर 36 मिनट तक
तथा सिंह लग्न मध्य रात्रि में 12:00 बज कर 39 मिनट से 2:51 तक रहेगा.
चौघड़िया के मान से
प्रातः 6:39 से 8:02 तक लाभ
प्रातः 8:03 से 9:25 तक अमृत
दिन में 10:48 से 12:01 तक शुभ का चौघड़िया
रात्रि में 7:19 से 8:56 तक शुभ
तथा
रात्रि 8:57 से 10:33 तक अमृत का चौघड़िया रहेगा.
शास्त्र प्रमाणित होरा को भी पूजन व अन्य शुभ कार्यों में प्रशस्त माना गया है तदनुसार प्रातः काल 6:39 से 8:37 तक बुध चंद्र की होरा
दिन में 9:39 से 10:38 तक गुरु की होरा दिन में 12:00 बजकर 39 मिनट से 3:38 तक शुक्र बुध चंद्र की होरा सायंकाल 4:39 से 5:38 तक गुरु की होरा एवं रात्रि में 7:39 से 10:38 तक शुक्र बुध चंद्र की होरा रहेगी.
ऊपर लिखित किसी भी लग्न चौघड़िया होरा के मुहूर्त समय में अपनी कुल परंपरा अनुसार श्रद्धा भक्ति तथा प्रसन्न चित्त होकर सहपरिवार महालक्ष्मी पूजन करें मध्य रात्रि निशिथ काल का समय 11:46 से 12:38 तक है जिसमें महालक्ष्मी की उपासना जप हवन आदि के लिए श्रेयस्कर होगा.
उपर्युक्त समय अवधि में से किसी भी मुहूर्त काल में अपनी सुविधा एवं कुल परंपरा अनुसार शास्त्रोंक्त पद्धति से श्रद्धा अनुसार यथा विधि श्री गणेश महाकाली (मूर्ति कलम स्याही) महालक्ष्मी (मूर्ति श्री यंत्र आदि) कुबेर इंद्र तथा महासरस्वती (मूर्ति पुस्तक बहीखाता आदि) का पूजन अर्चन जप व पाठ आदि श्रद्धा भक्ति पूर्वक संपन्न करें दीपावली के शुभ अवसर पर श्री महालक्ष्मी मूर्ति अथवा चित्र आदि का ही पूजन करें सोना चांदी की मुद्रा तथा रुपैया नोटों की पूजा शास्त्र के विरुद्ध है मुद्रा तो श्री महालक्ष्मी का प्रसाद अनुग्रह है.
जैसा कि शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है —
प्रायः दीपमाला वसरे लोका: रजत स्वर्ण मुद्रा रुप्यादी पूजयन्ति तत्र सम्यक शास्त्र विरुद्धत्वात अत्राभिष्टा वर्तते श्री लक्ष्मी पूजा सा च मूर्ति विधाय तदैव श्रेयस्करम्. ( कर्मठ गुरु)
आजकल महालक्ष्मी महासरस्वती आदि की छाप वाले चांदी के सिक्के उपलब्ध है इनका भी पूजन किया जा सकता है.
विशेष –
प्रदोष समय लक्ष्मी पूजनानि कृत्वा भोजनं कार्यम्।
अत्र दर्शे बाल वृद्धादिर्भिन्ने दिवा न भोक्तव्यम् रात्रौ भोक्तव्यम्।। (धर्मसिंधु)
बाल वृद्ध को छोड़कर अन्य आस्तिक जनों को लक्ष्मी पूजन के दिन में भोजन नहीं करना चाहिए लक्ष्मी पूजा होने के बाद रात्रि में भोजन करना चाहिए.
जय श्री महाकाल
ज्योतिषाचार्य पंडित अजय दुबे, उज्जैन