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दस्तक के नाट्योत्सव में दिखेंगे नाटक के कई रंग

By pnc Jan 23, 2017

दस्तक पटना का नाट्योत्सव : रंग दस्तक 2017

नाट्य दल दस्तक की स्थापना 15 साल पहले हुई थी. तब से लेकर अब तक इस नाट्यदल ने कई नाटकों का मंचन कुशलतापूर्वक किया है. अब दस्तक के अध्याय में एक नया आयाम अब जुड़ने जा रहा है. इस तीन दिवसीय नाट्योत्सव का नाम “रंग-दस्तक -2017” है. इस उत्सव में दस्तक के तीन नाटकों – पटकथा (धूमिल की लंबी कविता) का मंचन प्रेमचंद रंगशाला, पटना में 24 जनवरी 2017 को संध्या 6:30 बजे, भूख और किराएदार नामक नाटक का मंचन क्रमशः 25 व 26 जनवरी 2017 को कालिदास रंगालय, पटना में संध्या 6:30 बजे से किया जाएगा.




नाट्य दल दस्तक के बारे में

रंगकर्मियों को सृजनात्मक, सकारात्मक माहौल एवं रंगप्रेमियों को सार्थक, सृजनात्मक, नवीन और उद्देश्यपूर्ण कलात्मक अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से “दस्तक” की स्थापना सन 2 दिसम्बर 2002 को पटना में हुई. दस्तक ने अब तक मेरे सपने वापस करो (संजय कुंदन की कहानी), गुजरात (गुजरात दंगे पर आधारित विभिन्न कवियों की कविताओं पर आधारित नाटक), करप्शन जिंदाबाद, हाय सपना रे (मेगुअल द सर्वानते के विश्वप्रसिद्ध उपन्यास Don Quixote पर आधारित नाटक), राम सजीवन की प्रेम कथा (उदय प्रकाश की कहानी), एक लड़की पांच दीवाने (हरिशंकर परसाई की कहानी), एक और दुर्घटना (दरियो फ़ो लिखित नाटक) आदि नाटकों का कुशलतापूर्वक मंचन किया है.

दस्तक का उद्देश्य केवल नाटकों का मंचन करना ही नहीं बल्कि कलाकारों के शारीरिक, बौधिक व कलात्मक स्तर को परिष्कृत करना और नाट्यप्रेमियों के समक्ष समसामयिक, प्रायोगिक और सार्थक रचनाओं की नाट्य प्रस्तुति प्रस्तुत करना भी है.

नाटक पटकथा के बारे में                                                                  

दस्तक, पटना की प्रस्तुति

सुदामा पांडेय “धूमिल” लिखित लंबी कविता

पटकथा

आशुतोष अभिज्ञ का एकल अभिनय

प्रस्तुति नियंत्रक – अशोक कुमार सिन्हा एवं अजय कुमार

ध्वनि संचालन – आकाश कुमार

प्रस्तुति प्रबंधन –  सुजीत कुमार, मंज़र हुसैन

प्रस्तुति संचालक – रेखा सिंह

सहयोग – अरुण कुमार, राहुल कुमार

परिकल्पना व निर्देशन – पुंज प्रकाश

स्थान – प्रेमचंद रंगशाला, पटना

दिनांक – 24 जनवरी 2017

समय – संध्या 6:30 बजे

पटकथा हिंदी साहित्य की प्रतिष्ठित लंबी कविताओं में से एक है जो भारतीय आम अवाम के सपने, देश की आज़ादी और आज़ादी के सपनों और उसके बिखराव की पड़ताल करती है. देश की आज़ादी से आम आवाम ने भी कुछ सपने पाल रखे थे किन्तु सच्चाई यह है उनके सपने पुरे से ज़्यादा अधूरे रह गए. अब हालत यह है कि अपनी ही चुनी सरकार कभी क्षेत्रीय हित, साम्प्रदायिकता, तो कभी धर्म, भाषा, सुरक्षा, तो कभी लुभावने जुमलों के नाम पर लोगों और उनके सपनों का दोहन कर रही है. इस कविता के माध्यम से धूमिल व्यवस्था के इसी शोषण चक्र को क्रूरतापूर्वक उजागर किया है और लोगो को नया सोचने, समझने तथा विचारयुक्त होकर सामाजिक विसंगतियो को दूर करने की प्रेरणा भी देते हैं. कहा जा सकता है कि पटकथा प्रजातंत्र के नाम पर खुली भिन्न – भिन्न प्रकार के बेवफाई की बेरहम दुकानों से मोहभंग और कुछ नया रचने के आह्वान की कविता है. यह कविता बेरहमी, बेदर्दी और बेबाकी से कई धाराओं और विचारधाराओं और उसके नाम के माला जाप करने वालों के चेहरे से नकाब हटाने का काम करती है; वहीं आम आदमी की अज्ञानता-युक्त शराफत और लाचारी भरी कायरता पर भी क्रूरता पूर्वक सवाल करती है.

नाटक- ‘किराएदार’ के बारे में

यह फ़्योदोर दोस्तोव्येसकी की लंबी कहानी “रजत रातें” से प्रभावित नाटक है जो एक लड़का, एक लड़की और एक आदमी के माध्यम से प्रेम की संवेदनाओं सम्बन्धों की पड़ताल दुनियावी मान्यताओं से परे जाकर करता है. यहाँ प्रेम पाने, खोने, यथार्थवादी, आध्यात्मवादी मान्यताओं के परे जाकर एहसासों की बात करता है. यहाँ प्रेम एक मनःस्थिति है न कि खोना, पाना या हासिल करना.

मंच पर – रेखा सिंह, पुंज प्रकाश और आकाश कुमार

प्रकाश परिकल्पना – सुमन सौरव

सहयोग – अरुण कुमार, राहुल कुमार

ध्वनि – सुजीत कुमार

सहायक निर्देशक – अमन कुमार

पूर्वाभ्यास प्रभारी – बादल कुमार

प्रस्तुति नियंत्रक – अशोक कुमार सिन्हा एवं अजय कुमार

प्रस्तुति प्रभारी – सुधांशु शेखर

प्रस्तुति संचालक – मंज़र हुसैन एवं नीतीश कुमार

सानिध्य – ऋचा शर्मा एवं मुन्ना कुमार पांडेय

नाट्यालेख, परिकल्पना और निर्देशन – पुंज प्रकाश

स्थान – कालिदास रंगालय, पटना

दिनांक – 25 जनवरी 2017

समय – संध्या 6:30 बजे

नाटक भूख के बारे में

हाल ही की एक सच्ची घटना है जब एक महानगर में तीन बहनों ने अपने आपको घर के अंदर क़ैद कर लिया था और अपने आपको मजबूरन भूखों मरने के लिए छोड़ दिया था. इस क्रम में छोटी बहन की मौत हो गई और किसी प्रकार दो बहनों को ज़िंदा बचा लिया गया. इस पूरी घटना की पड़ताल करने पर कई पहलू निकलकर सामने आते हैं और हमें देश, समाज, सामाजिक – राजनैतिक और प्रशासनिक व्यवस्था समेत मानवता के क्रूरतम पक्ष से साक्षात्कार कराते हैं. एक ऐसे देश में जिसकी पहचान ही कृषि प्रधान देश के रूप में हो, वहां इंसानों का भूख से दम तोड़ देना एक भयानक घटना और क्रूरतम सच्चाई नहीं तो और क्या है? सच्ची घटना पर आधारित इस नाटक का लेखन पुंज प्रकाश ने किया है. इस वृतचित्रात्मक नाटक में रेखा सिंह, अरुण कुमार, राहुल कुमार, सुजीत कुमार, मंज़र हुसैन, अमन कुमार, बादल कुमार आदि अभिनेता/अभिनेत्री काम कर रहे हैं.

मंच परे :-

ध्वनि संचालन – आकाश कुमार

सहयोग – सुधांशु शेखर

प्रकाश परिकल्पना – पुंज प्रकाश

सहायक निर्देशक – अमन कुमार

मंच सामग्री – दस्तक परिवार

पूर्वाभ्यास प्रभारी – बादल कुमार

सानिध्य – ऋचा शर्मा व मुन्ना के. पांडेय

प्रस्तुति नियंत्रक – अशोक कुमार सिन्हा एवं अजय कुमार

नाटककार, परिकल्पना एवं निर्देशन – पुंज प्रकाश

स्थान – कालिदास रंगालय, पटना

दिनांक – 26 जनवरी 2017

समय – संध्या 6:30 बजे

इस उत्सव का कोई स्पॉन्सर/ग्रांट नहीं है. रंगप्रेमियों से उचित सहयोग की कामना के साथ टिकट के द्वारा शो करने का एक प्रयास है. टिकट दर 50रू प्रतिदिन है.

 

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