माता के जयकरे से गूंजता रहा शहर
206 वाँ माँ देवी की डाली पूजा में जन सैलाब को देख लोग अभिभूत
फुलवारी शरीफ,अजीत।। राजधानी पटना के सटे सबसे पुराने स्थलों में एक फुलवारी शरीफ वर्षो पहले एक कसबे के रूप में स्थापित था. वर्षो बीत जाने के बाद और आज का क़स्बा फुलवारी शरीफ आज के शहरीकरण में ढल जाने के बाद भी अपनी पुरखों की सभ्यता संस्कृति को नहीं भुला पाया है. फुलवारी शरीफ प्रखंड कार्यालय के सामने संगत पर स्थित सन 1818 ई में स्थापित श्री श्री देवी स्थान मंदिर ( काली मंदिर ) से निकलने वाली प्रसिद्द माता की डाली (खप्पड़ ) आज संध्या साढ़े सात बजे निकली. माता की डाली यानी खप्पड़ पूजा में हजारों पारंपरिक तरीके से हथियारों से लैस श्रद्धालु जय माता दी की जयकारे लगाते हुए खप्पड़ भ्रमण में शामिल हुए और वापस मंदिर पहुंचे.
मंदिर समिति के अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद ने बताया कि माता के डाली खप्पर पूजा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और फुलवारी शरीफ शहर आसपास के इलाके के लोगों के बीमारी मुक्त होने की प्रार्थना की.
काली मंदिर से पुजारी जी अपने हाथो में जलता हुआ आग खप्पड लेकर आगे आगे दौड़ लगाना शुरु किया और इस दौरान माता के जयकारे लगाते हजारों श्रद्धालु पैदल नंगे पाँव पुजारी जी के पीछे दौड़ कर परिक्रमा में शामिल हुए.अधिकाँश श्रद्धाल अपने हाथों में लाठी , भाला , त्रिशूल , तलवार आदि पारम्परिक हथियार लिए माता के जयकारे लगाते परिक्रमा दौड़ लगाते रहे.इसके बाद मंदिर में आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया. सुरक्षा शांति अवस्था बनाएँ रखने के लिए विषेष रूप से कई थानों की पुलिस बल को लगाया गया.
माता की डाली खप्पड पूजा परिक्रमा को लेकर न्बगर परिषद प्रशासन ने इलाके में साफ-सफाई तथा जल की व्यवस्था के साथ रास्ते में लाईट लगाने की वयवस्था किया.आकस्मिक स्थिति में स्वास्थ्य पदाधिकारी स्वास्थ्य टीम के साथ एम्बुलेंस की व्यवस्था के साथ मौजूद रहे.
खप्पड़ पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि करीब 205 साल पहले महामारी से फुलवारी शरीफ और आस-पास के लोगों की जान बचाने के लिए पहली बार माता की डाली निकली थी.इसके बाद इलाके के सभी लोग ठीक हो गए थे और तब से आज तक हर वर्ष डाली पूजा की परंपरा चली आ रही है.