किशोर-किशोरियों के समग्र विकास के लिए शिक्षा विभाग के साथ कोरस्टोन ने मिलाया हाथ

By dnv md Dec 21, 2022

सभी सरकारी मध्य विद्यालय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में रेजिलिएंस प्रोग्राम का विस्तार करने के लिए सहयोग पर चर्चा करने के लिए सम्मेलन

बिहार के सभी सरकारी मध्य विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में भावनात्मक समुत्थान कार्यक्रम के विस्तार करने एवं शिक्षा विभाग और कोरस्टोन के बीच करार की घोषणा




बिहार के विभिन्न सरकारी शिक्षा संस्थानों में पढ़ रहे किशोर और किशोरियों के कल्याण और विकास को लेकर बिहार के शिक्षा विभाग ने कोर स्टोन के साथ समझौता किया है. यह तीन साल का करार कोरस्टोन के यूथ फर्स्ट और गर्ल्स फर्स्ट रेसिलियंस प्रोग्राम का विस्तार करेगा और नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के अनुसार किशोरों के समग्र कल्याण और विकास को बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करेगा. तीन वर्षों के इस करार में लगभग 35 लाख से अधिक किशोर / किशोरियां 35,000 सरकारी मध्य विद्यालय तथा 534 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय केजीबीवी) इस कार्यक्रम से जुड़कर लाभान्वित होंगे.

कॉरस्टोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीव लेवेंथल ने अपने उद्घाटनीय वक्तव्य में यह कहा कि “2013 के बाद से, हम पूरे बिहार में हजारों छात्रों और शिक्षकों तक पहुँचे हैं और इस बात के व्यापक प्रमाण हैं कि कोरस्टोन के कार्यक्रम किशोरों के भावनात्मक सम्मुत्थान, मानसिक और शारीरिक विकास एवं शिक्षा के परिणामों को बदल देते हैं. उन्होंने कहा कि अपने हर कदम पर हमसभी बिहार सरकार से समर्थन प्राप्त करने के लिए बहुत आभारी हैं.

इस सम्मेलन में बिहार सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं किशोर स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत अनेक विशेषज्ञों ने भाग लिया.

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बच्चे अपना अधिकांश बचपन और किशोरावस्था स्कूल में बिताते हैं. हमारे राज्य के सभी स्कूलों और केजीबीवी में कोरस्टोन के रेजिलिएस प्रोग्राम को ले जाना और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत करना बनाना हमारा लक्ष्य है. राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, बिहार के निदेशक सज्जन आर ने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भावनात्मक समुत्थान से सम्बंधित सामग्री बिहार के स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल हों और हम अपने राज्य के सभी 4 लाख शिक्षकों तक समुत्थान प्रशिक्षण के साथ पहुंचे, यह इस दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है.

सभी आयुवर्ग के किशोर / किशोरियों तक पहुंचने के महत्व पर जोर देते हुए बिहार महिला विकास निगम की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा, आईएएस, ने कहा कि “लड़कियां किशोरावस्था में पहुंचने तक जीवन के सभी क्षेत्रों में लड़कों से बेहतर करती हैं जिसके बाद वे विभिन्न विकास परिणामों में खराब प्रदर्शन करने लगती हैं. यही कारण है कि किशोरों के लिए समुत्थान और मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण में लिंग एक आवश्यक घटक होता है.”

सम्मेलन में संस्था के “यूथ फर्स्ट” और “गर्ल्स फर्स्ट” कार्यक्रम के छात्रों ने भाग लेकर अपने अपने अनुभव साझा किए. केजीबीवी मनेर हाई स्कूल की 11वीं कक्षा की छात्रा उगांती कुमारी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि “मेरे माता-पिता ने मुझे 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ने के लिए कहा था, क्योंकि मेरे गांव में किसी ने इससे आगे की पढ़ाई नहीं की थी. मैंने गर्ल्स फर्स्ट कार्यक्रम में मुखरता से संवाद करने के बारे में सीखा था. मैंने अपनी मां से कहा कि अगर मैं हाई स्कूल जाने वाली अपने गांव की पहली लड़की बन जाऊंगी, तो दूसरे बच्चे मुझे देखेंगे और आगे पढ़ने के लिए प्रेरित होंगे, “

विशेषज्ञों के एक पैनल ने “शिक्षा व्यवस्था में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण का एकीकरण क्यों और कैसे विषयक सत्र पर परिचर्चा की जिसका सत्र सञ्चालन प्रो. प्रभात पी घोष, सदस्य सचिव, एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) ने किया. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल एंड एलाइड साइंसेज के निदेशक डॉ राजेश नायर ने कहा कि “हमें यूथ फर्स्ट और गर्ल्स फर्स्ट जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से समुदाय में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने और उन्हें स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत करने की वकालत करने की आवश्यकता है.”

किरण कुमारी रिटायर्ड, अतिरिक्त राज्य कार्यक्रम निदेशक, बीईपीसी ने महत्वपूर्ण बात को रेखांकित करते हुए यह कहा कि “बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी. एड.) पाठ्यक्रम में पहले से ही छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (DIETS) के माध्यम से रेसिलियंस प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू करके उनकी भूमिका पर जोर देना महत्वपूर्ण है,”

कोरस्टोन की कंट्री डायरेक्टर नंदिता भाटला ने समापन सत्र में यह कहा कि “मुझे यकीन है कि कोरस्टोन एवं बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् की यह साझेदारी बिहार में प्रत्येक छात्र छात्राओं एवं शिक्षक को अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए कौशल और ज्ञान प्राप्त करेंगे.

इस सम्मलेन में राज्य में शिक्षा पर काम करने वाले विभिन्न गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधि, समाजकर्मी के साथ संस्था के सदस्य भी उपस्थित थे.

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