भोजपुरिया बेटी ने बढ़ाया माटी का मान

By om prakash pandey Jul 17, 2019

लोकगायिका चंदन तिवारी को मिला संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

संगीत नाटक अकादमी दिल्ली द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार 2018 की घोषणा जब हुई तो भोजपुर जिले के लोगों की खुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि मूल रूप से भोजपुर के बड़कागांव की निवासी लोक गायिका चंदन तिवारी को लोकगायन के क्षेत्र में यह पुरस्कार दिया गया है. चंदन तिवारी महज 3 साल की उम्र से भोजपुरी गीतों को आवाज दे रही हैं, मगर इनकी ख्याति किशोरावस्था में महुआ टीवी चैनल के जरिए हुई बाद में इन्होंने कई और टीवी चैनल, आकाशवाणी पर प्रस्तुति दी. उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.




भोजपुरी गीतकारों और गायकों के बीच गैप को भरा चन्दन की गायकी ने

आज से करीब 4 साल पहले इन्होंने ‘लोकराग’ और ‘पुरबियातान’ के बैनर से लोक गायकी शुरू की और अभी तक इन्होंने करीब 40 गीतकारों के के गीतों को सुरों से संवारा है जिनमें चर्चित गीतकार भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिसिर से लेकर वैसे गीतकार भी शामिल है जिन्हें लगभग भुला दिया गया है या चर्चा में नहीं है जैसे कैलाश गौतम, विश्वनाथ शैदा, रसूल मियां आदि. भोजपुरी के अलावा इन्होंने मैथिली गीतकार स्नेहलता और मगही गीतकार मथुरा जी के गीतों को भी गाया है. चंदन ने बहुत कम उम्र में भोजपुरी लोकगायन को एक ऊंचाई दी है और विंध्यवासिनी देवी,शारदा सिन्हा की परंपरा को आगे बढ़ाया है. जब भोजपुरी गायकी एक संक्रमण के दौर से गुजर रही है और अश्लीलता से संघर्ष कर रही है उस वक्त चंदन ने सस्ती लोकप्रियता और बाजार की मांग को ठोकर मारी और भोजपुरी गीतकारों को सम्मान दिया है जिससे भोजपुरी साहित्य को विश्वस्तर की छवि और पहचान मिली है

भोजपुरी संस्कृति की सुगंध है चंदन के गीतों में

चंदन के गीतों में भोजपुरिया माटी की सुगंध बसी हुई है इनके गीतों में अक्सर गांव, गंगा, गांधी और भोजपुरिया खाटी संस्कृति की झलक दिखती है.
चंदन कहती हैं “मैं स्त्री के मन का गीत गाती हैं तन का नहीं और मैं लोक का गीत लेकर आवाज देती हूं और फिर उन्हें लोक को वापस दे देती हूं”
चंदन आगे कहती हैं “मेरा काम भोजपुरी को संवारना है और यह आगे भी चलेगा मुझे समय की चिंता नहीं है”. चंदन ने आकाशवाणी टीवी के अतिरिक्त देश ही नहीं विदेशों में भी कई मंचीय प्रस्तुति दी है जिसे मुक्त कंठ से सराहा गया है और भोजपुरी भाषा-संस्कृति को नई पहचान मिली है. अब तक चंदन को महिला एवं बाल विकास विभाग, बिहार सरकार, बी ए जी फिल्म्स की ओर से सर्वश्रेष्ठ गायिका, मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से पुरस्कार मिल चुका है. आने वाले समय के लिए चंदन के पास भोजपुरी लोक गायन के कई और प्रोजेक्ट हैं जिनमें चंपारण सत्याग्रह और गांधीजी के ऊपर एक सीरीज ‘गान्ही जी’ और भोजपुरिया साझी संस्कृति को दर्शाती गीतों की सीरीज ‘रसूल के राम : मूसा का रामराज’ शामिल है.
वरिष्ठ रंगकर्मी चंद्रभूषण पांडे चंदन को बधाई देते हुए कहते हैं कि भोजपुरिया गायकी के संक्रमण काल में जिस जिस पारस पत्थर की तलाश थी वह चंदन के रूप में मिल गई है. युवा रंगकर्मी ओ पी पांडे कहते हैं की भोजपुरिया युवकों को चंदन से प्रेरणा लेनी चाहिए और अश्लीलता को गुडबाय कहना चाहिए.

आरा से रवि प्रकाश सूरज

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