चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह के मौके पर ‘गांधी इन चंपारण’ का विमोचन
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने किया 3 विरासत पुस्तकों का विमोचन
गांधीजी के विचार और कार्य अमर तथा देश की युवा पीढ़ी के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं- वेंकैया नायडू
केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि गांधीजी के संदेशों को फैलाने की प्रेरणा के लिए उनके विचारों और शिक्षाओं को पुस्तक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए. वे नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के सहयोग से प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित विरासत पुस्तक ‘गांधी इन चम्पारण’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. इस अवसर पर राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष अपर्णा बासु और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने ‘युवा मन’ को मानवता, उदारता और दृढ़ संकल्प का अमूल्य पाठ सिखाया है. इससे आगामी पीढ़ी को उनके दर्शन ‘मेरा जीवन, मेरा संदेश है’ के सार को समझने का अवसर मिला है. युवा पीढ़ी को हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों के स्वाधीनता सेनानियों द्वारा किये गये सर्वोच्च बलिदान की भावना और उनकी अभिलाषा को समझना चाहिए.
हाल के ‘मन की बात’ कार्यक्रम जिसमें प्रधानमंत्री ने चम्पारण आंदोलन और गांधीजी के संघर्ष के महत्व के बारे में बात की थी, उसका संदर्भ देते हुए नायडू ने कहा कि चम्पारण सत्याग्रह गांधीजी के नेतृत्व में देश में किया गया पहला अहिंसक जन आंदोलन था. चम्पारण का संघर्ष देश के स्वाधीनता की आगे की लड़ाई के लिए प्रेरणा बना था. उन्होंने कहा कि गांधीजी पर आधारित पुस्तकों से सरकार के स्वच्छ भारत अभियान, जन धन योजना और स्किल इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, जिनका उद्देश्य समाज के हर वर्ग में समानता लाना और उनका सशक्तिकरण करना है.
प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित डीजी तेंदुलकर लिखित दो अन्य पुस्तकों ‘रोमैन रोलैंड एंड गांधी कॉरसपोन्डैंस’ और ‘महात्मा श्रृंखला (8 संस्करण)’ का भी विमोचन किया गया. ‘रोमैन रोलैंड एंड गांधी कॉरसपोन्डैंस’ पुस्तक पत्रों का संकलन है, इसमें रोमैन रोलैंड के महात्मा गांधी के साथ और उनके बारे में लेख तथा उनकी एवं महात्मा गांधी की डायरियों के अंश के साथ ही कुछ अन्य लेख भी हैं. पुस्तक ‘महात्मा श्रृंखला (8 संस्करण)’ महात्मा गांधी की जीवनी है, जिसकी कल्पना और लेखन बापू के जीवन काल के दौरान ही डीजी तेंदुलकर ने की थी, जिसे लेखक ने ही संशोधित संस्करणों में संरक्षित किया है और 60 के दशक के शुरूआत में प्रकाशन विभाग द्वारा इसे प्रकाशित किया गया था.
बता दें कि ये सभी संरक्षित पुस्तकें 1950 और 1960 में प्रकाशित की गई थीं और इनमें स्वाधीनता संग्राम के बारे में सबसे अधिक प्रमाणिक विवरण दिया गया है.