पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) | कैंसर का डर लोगों के जेहन तक में बैठा हुआ है. कैंसर तेजी से फैलने वाली बीमारियों में शुमार है. अलग अलग कैंसर के कारण भी अलग होते हैं. गंगा के इलाकों में रहने वालों को कैंसर का खतरा अधिक होता है. शोध से पता चला है कि गंगा नदी के इलाकों में आर्सेनिक की अधिकता के कारण कैंसर होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. वहीं तंबाकू, गुटका, पान मशाला के सेवन से मुंह के कैंसर का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. मुंह का कैंसर सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारी मानी जाती है और तीसरे चरण के मरीज की उम्र महीने में होती है.
आईजीआईएमएस के ऑंकोलोजी ( दवा) विभाग के हेड डॉ अविनाश पांडे का कहना है कि कैंसर लाईलाज नहीं है, बस सावधानी की जरुरत है. उनका कहना है कि कैंसर का शुरुआत में पता चलने पर मरीज के ठीक होने की संभावना शत प्रतिशत होती है.
डॉ पांडे ने बताया कि शरीर में सेल्स ग्रुप का अनियंत्रित वृद्धि हीं कैंसर है.ये सेल्स टिश्यू को प्रभावित कर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने लगते हैं और कैंसर बढ़ता चला जाता है. डॉ अविनाश के अनुसार गुटका पान मशाला से मुंह के कैंसर ने महामारी का रूप धारण कर लिया है. इसकी शुरुआत मुंह में लाल या सफेद धब्बा पाया जाता है. कुछ लोगों में ठीक नहीं होने वाला मुंह का छाला भी हो सकता है. डॉ अविनाश का कहना है कि मुंह के कैंसर को फैलने में देर नहीं लगती. शुरुआती लक्ष्ण मिलते ही डॉक्टरी सलाह से इसे फैलने से रोका जा सकता है. कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी की जाती है. इसके बाद एंडोस्कोपी, इमेंजिग सीटी स्कैन,अल्ट्रसोनोग्राफी और एमआरआई आदि की मदद से कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है.
अविनाश पांडे ने बताया कि कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथैरेपी और रेडियोथेरेपी के जरिए किया जाता है. उन्होंने बताया कि सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी देकर ट्यूमर को जड़ से खत्म किया जाता है. डॉ. अविनाश ने बताया कि कैंसर के रोगियों को कीमोथेरेपी के जरिए लंबे समय तक बचाया जा सकता है. डॉ अविनाश के अनुसार जागरुकता के अभावऔर इलाज में देरी के कारण पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में कैंसर से दोगुनी मौत होती है. दुर्भाग्य से कैंसर का पता 85 फीसदी से ज्यादा रोगियों को रोग बहुतबढ़ जाने के बाद पता चलता है. रोग शुरू में पता चल जाने पर खर्च भी कम होता है.