निबंधन के बिना चल रहे हैं बक्सर में 30 से अधिक बूचड़खाने
‘मैनेज’ संस्कृति से हो रहा तस्करी का खेल
यूपी में अवैध बूचड़खानों पर बैन के बाद बिहार बॉर्डर के इलाके से बीफ की तस्करी बढ़ गयी है. बक्सर के कई इलाकों में यह कारोबार काफी फल-फूल रहा है. पशुओं के मांस कारोबार की बड़ी जरूरत यहीं से पूरी हो रही है. दरअसल, जिले से यूपी और पश्चिम बंगाल में पशु तस्करी का धंधा जोरों पर है. दिखावे के लिए कभी-कभार छापेमारी होती है. परंतु, आमतौर पर पूरा धंधा हर स्तर पर सेटिंग की बदौलत बेरोकटोक चल रहा है. जिले की भौगोलिक स्थिति के कारण यह कारोबार उछाल पर है. धंधे से जुड़े एक शख्स ने बताया कि यूपी के फैजाबाद, आजमगढ़ व बाराबांकी आदि क्षेत्रों से यहां पशु मेले के नाम पर लाये जाते हैं. चौसा में प्रत्येक बुधवार को लगने वाला पशु मेला व ब्रह्मपुर में पशुओं का सौदा करने के लिए बंगाल से कारोबारी आते हैं. चौसा के अलावा ब्रह्मपुर में नैनीजोर के बिहार घाट से गायों को ट्रक पर लाद बलिया के दियारा के रास्ते छपरा होते हुए बंगाल रवाना किया जाता है. यहां से भेजे गये पशुओं की वहां दोगुनी कीमत मिलती है. यूपी में बैन के बाद इस कारोबार में बढ़ोतरी हुई है.
सोना उगलता है कन्ना किताब
दरअसल, यहां बूचड़खाने की आड़ में मवेशी के शरीर में पाए जाने वाले पौरूषवर्धक तत्व का भी व्यापार होता है. इसे कन्ना किताब के नाम से जाना जाता है. इसके उपयोग से पौरूषशक्ति बढ़ती है. यही नहीं खूबसूरती निखारने के लिए महिलाएं भी इसका उपयोग करती हैं. कन्ना को सुखाकर सासाराम, गया, मुजफ्फरपुर, कलकत्ता के रास्ते चीन और अरब देशों में भेजा जाता है. अरब देशों में इसकी मांग बहुत अधिक है.
चोरों के तहखाने बने हैं बूचड़खाने
अगर कोई चोर किसी मवेशी या उसके बच्चे को बूचड़खाने तक पहुंचा देता है तो उसे इसकी रकम बिना किसी झंझट के मुहैया करा दी जाती है. इस बात का खुलासा हाल ही राजपुर में एक चोर को पकड़े जाने के बाद हुआ था. स्थानीय लोगों ने चोर की जम कर धुनाई की थी. हालांकि इस मामले को रफा दफा कर दिया गया.
गांव से गायब हो रहे सांढ़ व भैंसा
राजपुर थाना क्षेत्र के मंगरांव, संगरांव, कजरिया, पीपरा, कठजा, नागपुर, गैधरा सहित अन्य गांवों में साढ़ व भैसों के गायब होने का मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. इस संबंध में किसी अनजान सख्श से मंगरांव निवासी पर आरोप लगाते हुए आसपास के गांवों में परचा बंटवा दिया था. पर्चा लिखने वाले व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि विगत सात वर्ष से क्षेत्र के सभी गांवों में काली माता की पूजा के बाद छोड़े जाने वाले साढ़, भैंसे, बकरे को चोरी-छिपे बेचा जा रहा है. राजपुर थानाध्यक्ष राकेश कुमार से पूछे जाने पर बताया कि इस मामले की सूचना उन्हें मिली है.
शहर में भी संचालित हैं अवैध बूचड़खाने
खुले आम चल रहे इस अवैध बूचड़खाने से आस-पास के लोग परेशान हैं. सड़क किनारे यह कारोबार फल फूल रहा है. एक साल नगर परिषद की नल से अचानक खून निकलना आरंभ हो गया था. तब पुलिस ने इस कारोबार पर कुछ समय के लिए लगाम लगा दिया था. लेकिन ‘मैनेज’ संस्कृति ने सबकुछ यथावत कर दिया.
अवैध बूचड़खानों पर नकेल कसी जायेगी. इसके लिये जरुरी तैयारियां की जा रही हैं. जल्द ही एक टीम गठित कर सख्त कार्रवाई की जायेगी -जयप्रकाश नारायण, जिला पशुपालन पदाधिकारी, बक्सर
बक्सर से ऋतुराज