एक तरफ कहीं वक्त पर खून न मिलने से मरीज दम तोड़ देते हैं. कहीं निजी ब्लड बैंक से खून खरीदने के लिये महिलाएं अपने जेवर बेच देती हैं तो कहीं डोनर की तलाश में रिश्तेदारों के सामने गिड़गड़ाना पड़ता है. रक्त दान महादान कहा गया है, लेकिन अगर आपको पता चले कि आपका दान किया गया रक्त ही खराब हो गया है तो आप क्या कहेंगे? जी हां, जो सच्चाई सामने आई है वो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि क्या ब्लड बैंक रक्त आपूर्ति के मामले में संवेदनशून्य बने हुए हैं. बक्सर के पुराने सदर अस्पताल में संचालित रेड क्रॉस के ब्लड बैंक में यहां पिछले छह माह में करीब सौ यूनिट खून एक्सपायर हो गए हैं. उसे किसी इन्सान के जिस्म में चढ़ाया नहीं जा सकता था.
सुविधाओं के अभाव में 35 यूनिट बर्बाद
नियमों के मुताबिक खून को 35 दिन के भीतर इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद यह एक्सपायर हो जाता है. इसका मुख्य कारण खून के रखरखाव के लिए सुविधाओं का अभाव है. इसके अलावा रक्तदान से पहले रक्तदाताओं की जांच न होने से भी 35 यूनिट खून बर्बाद हुआ. वर्तमान में खून लेने के बाद इसकी जांच की व्यवस्था है. अगर खून में HIV, HCV, VDRL, HBAG या मलेरिया में कुछ भी पॉजिटिव पाया गया तो खून बेकार हो जाता है.
जरूरतमंदों को बिचौलियों का सहारा
रेड क्रॉस के ब्लड बैंक को अकेले दोषी नहीं ठहराया जा सकता. यह दोष व्यवस्था का है. स्वास्थ्य महकमा, रेडक्रास सोसाइटी और नागरिक सुरक्षा कोर की मदद से समय-समय पर रक्तदान शिविर आयोजित तो करता है. लेकिन इन कैम्पों में इकट्ठा किया गया खून सरकारी ब्लड बैंकों में डम्प कर दिया जाता है. पहले भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि सरकारी ब्लड बैंकों से खून लेने के लिये जरूरतमन्द तीमारदारों को दलालों और बिचौलियों की सेवाएं लेनी पड़ती हैं या फिर ऊंची कीमतों पर निजी ब्लड बैंकों से खून खरीदना पड़ता है. अब यह पता चला है कि सरकारी ब्लड बैंकों में खून की खपत गिरने के कारण उसे फेंकना तक पड़ रहा है. आंकड़ों पर गौर करें तो मार्च, अप्रैल व मई महीने में करीब 30 यूनिट रक्त बर्बाद हो गए हैं.
एक्सपायरी का कारण संवाद का अभाव
ब्लड एक्सपायरी के पीछे के कारणों में एक ब्लड बैंक से दूसरे ब्लड बैंक के बीच संवाद की कमी भी है. कई बार ऐसा होता है, जब एक हॉस्पिटल में ब्लड की कमी होती है. उसी समय दूसरे हॉस्पिटल में ब्लड रहता है. लेकिन हॉस्पिटल के बीच उचित संवाद न होने के कारण कई बार ब्लड रखे-रखे एक्सपायर हो जाता है. एक्सपर्ट के अनुसार किसी भी हॉस्पिटल में जब जमा किए गए ब्लड की अवधि 25 दिन से दिन अधिक होने लगे तो, हॉस्पिटल को दूसरे हॉस्पिटल से संपर्क कर उसे भेज देना चाहिए.
35 नहीं 12 यूनिट हुआ बर्बाद
ब्लड बैंक में 35 यूनिट से ज्यादा रक्त तीन महीने में बर्बाद हो गया. लेकिन, टेक्नीशियन अजय कुमार यह मानने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि रक्तदान शिविर के माध्यम से एकत्रित किया गया ब्लड रेड क्रॉस के ब्लड बैंक में रखा जाता है. ब्लड लेने के बाद उसके जांच में कोई बीमारी होने या कोई खराबी होने की स्थिति में उसे खराब पड़े फ्रीज में रख दिया जाता है. पिछले तीन महीने में 12 यूनिट ब्लड खराब हुआ है.
एक्सपायर होने से पूर्व भेजा जाता है पटना
रेड क्रॉस के सचिव श्रवण तिवारी की मानें तो निगेटिव ब्लड रखना जरूरी होता है. लेकिन, इसकी जरूरत कम पड़ती है. समय रहते पटना PMCH या रेड क्रॉस को भेजने की व्यवस्था है. हाल ही में 36 यूनिट ब्लड पटना भेजा गया था. पिछले कई महीने से मेडिकल अफसर का पद रिक्त होने के कारण एक्सपायर ब्लड को बर्बाद नहीं किया जा सका है.
बक्सर से ऋतुराज