बुढ़वा महादेव शिवमंदिर जहाँ पांडवों ने की थी पूजा
श्रावण के दूसरे सोमवारी को महादेव को जल अर्पित करने के लिए भक्तों की भीड़ के मंदिर में आने का सिलसिला सुबह से जारी रहा. शहर के महादेव रोड में स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर में श्रावण के माह में भक्तों का दूर के क्षेत्रो से आना-जाना होता है. बुढ़वा महादेव मंदिर भगवान शिव का प्राचीनतम मंदिरों में से एक है. मान्यता है कि यह मंदिर महाभारतकालीन है. इस मंदिर की स्थापना किसने की इसका कोई उल्लेख तो नहीं है पर इतिहास के पन्नों में देखने से और इस मूर्ति के पत्थर अपनी ऐतिहासिकता का खुद प्रमाण हैं.
वेदाचार्य और ज्योतिषाचार्य वृजकिशोर पाठक बताते हैं कि इस मंदिर में भीम और सभी पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ पूजा किया था. यही नहीं इस मंदिर में वाणासुर ने भी भगवान शिव की आराधना की थी. इस मंदिर में राजा भोज ने भी शिव की पूजा की थी. पुरातन इस शिव मंदिर का नाम भी शायद इनके प्राचीन होने की वजह से ही बुढ़वा महादेव के नाम से पुकारा गया. इस मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग विशाल है. कई बार इस मंदिर के शिवलिंग की मोटाई बढ़ने की भी पूर्व में चर्चा रही है.
पुरातन मंदिर के जिर्णोधार के समय जब शिवलिग के चारो तरफ खुदाई की गयी तो लगभग 14 फ़ीट नीचे खुदाई के बाद भी शिवलिंग का मुख्य छोर पता नहीं चला. खुदाई करने वालों ने फिर इसे उसी अवस्था में छोड़ शिव को उसी जगह रखने का फैसला किया और केवल मंदिर के बाहरी ढांचे में परिवर्तन कर निर्माण हुआ और छोटे मंदिर से विशाल मंदिर का निर्माण हुआ. ऐसा माना जाता है कि यह एक मनोकामना सिद्ध वाला स्थल है, जहाँ अगर शिव खुश हुए तो मनोवांछित फल देते है. यहाँ वैसे तो सालों भर भीड़ रहती है पर महाशिवरात्रि और सावन में भीड़ विशेष बढ़ जाती है.
आरा से ओपी पांडे