पिछले कुछ दिनों से एक मैट्रिक परीक्षार्थी सहरसा की प्रियंका का मामला काफी चर्चा में है. सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस मामले को लेकर BSEB ने सफाई दी है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इस मामले को गलत बताते हुए कहा कि मीडिया में बिहार बोर्ड द्वारा छात्रा को पांच लाख हर्जाना देने की खबर गलत है. माध्यमिक परीक्षा 2017 में सहरसा जिले से सम्मिलित छात्रा प्रियंका सिंह के दो विषयों संस्कृत एवं विज्ञान की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में उसे पहले कम अंक मिले थे लेकिन पुनः मूल्यांकन के बाद ज्यादा अंक मिले. खबरों के मुताबिक बारकोडिंग में गलती की बात बिल्कुल भ्रामक हैं.
BSEB ने कहा कि इस मामले में सहरसा जिले में किसी कर्मी द्वारा प्रियंका सिंह से संभवतः व्यक्तिगत दुश्मनी और उसे नुकसान पहुंचाने के लिए उसकी इन दो विषयों की कॉपी पर सटा हुआ बारकोड के आधे भाग को, जो फ्लाइंग स्लिप पर सटा था, फाड़कर उखाड़ दिया तथा उसके स्थान पर किसी दूसरे छात्र का बारकोड का आधा भाग फाड़कर उसकी जगह साट दिया.
मामले की जांच करने पर इन दोनो कॉपियों के मूल्यांकन के अंक में पुनर्मूल्यांकन में कोई वृद्धि नहीं हुई है. बल्कि समिति द्वारा करायी गई उच्च
स्तरीय जांच में यह बात प्रमाणित हुई तथा इस छात्रा को प्राप्त वास्तविक अंक जांचोपरांत प्रदान किया गया, जिससे उसके अंक में वृद्धि
हुई.
इस मामले में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने सहरसा जिले के किसी कर्मी पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाते हुए 5 अक्टूबर को सहरसा थाने में FIR दर्ज कराई है. और जल्द ही फर्जीवाड़ा करने वाले उस कर्मी को चिन्हित कर गिरफ्तार किया जायेगा तथा उसके विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
BSEB ने एक बार फिर से स्पष्ट किया है कि बारकोडिंग का कार्य करने की प्रक्रिया के क्रम में कोई गलती नहीं हुई है और इसमें समिति की कोई गलती
नहीं है, बल्कि सहरसा जिले के किसी कर्मी द्वारा इस परीक्षार्थी छात्रा प्रियंका सिंह से व्यक्तिगत द्वेष के कारण ऐसा किया गया. इसलिए इस फैसले के विरूद्ध बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है.