शिक्षकों को सरकार ने थमा दिया झुनझुना
भाकपा माले ने भी सरकार पर लगाया आरोप
राज्य नई शिक्षक भर्ती नियमावली को मंजूरी के बाद नियोजित शिक्षकों को झुनझुना देने की कोशिश की गई है, सरकार ने कहा है कि जो शिक्षक बीपीएससी की परीक्षा पास कर जाएंगे उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा. सवाल यह उठता है कि वर्तमान संसाधनों में बीपीएससी को परीक्षा कंडक्ट कराने में बरसों लग जाएंगे और तब तक नियोजित शिक्षक रिटायर भी कर जाएंगे. नई नियमावली के तहत फिलहाल 228000 शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है बीपीएससी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, बीपीएससी परीक्षा के जरिए शिक्षकों की भर्ती होगी, जो शिक्षक पहले से नौकरी करते आ रहे हैं उन्हें भी बीपीएससी की परीक्षा में सम्मिलित होने की छूट दी गई है और वह भी परीक्षा पास कर आकर्षक वेतन और राज्यकर्मी का दर्जा हासिल कर सरकार के लिए नई नियमावली अपने-अप में बड़ी चुनौती है. फिलहाल 228000 पद शिक्षकों के खाली हैं पहले इतने शिक्षकों की भर्ती विज्ञप्ति के जरिए की जाएगी उसके बाद 400000 शिक्षक भी इंतजार में बैठे हैं, वह भी बीपीएससी की परीक्षा में शामिल होने के लिए उतावले होंगे. बिहार लोक सेवा आयोग हर साल 10 से 12000 युवाओं को नौकरी देने के लिए प्रक्रिया पूरी कर पाती है. नई नियमावली के तहत बिहार लोक सेवा आयोग को कुल मिलाकर 628000 से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती करनी होगी, वर्तमान क्षमता के हिसाब से अगर आकलन करें तो बिहार लोक सेवा आयोग को कितने छात्रों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराने और प्रक्रिया पूरी करने में 40 साल लग जाएंगे.
शिक्षकों के पक्ष में लगातार आवाज बुलंद करने वाले शिक्षक नेता संतोष श्रीवास्तव का कहना है कि सरकार की मंशा साफ़ नहीं है बार-बार नियोजित शिक्षकों से परीक्षा ली जा रही है और हर बार नई नियमावली सामने आ जाती है बिहार में बीपीएससी को कुल मिलाकर छ: लाख से ज्यादा शिक्षकों के लिए परीक्षा कंडक्ट कराना है और इसमें बीपीएससी को 40 साल से ज्यादा समय लग जाएंगे. इस दौरान ज्यादातर शिक्षक रिटायर भी कर जाएंगे सरकार से शिक्षकों के मामले को उलझा कर रखना चाहती है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि सरकार की जो योजना है उसको मूर्त रूप देना बीपीएससी के लिए आसान नहीं होगा वर्तमान संसाधन के लिहाज से बिहार लोक सेवा आयोग को बरसो लग जाएंगे.सरकार की नीति उलझाने वाली है आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रही सरकार प्रक्रिया को लंबा खींचना चाहती है, सरकार के नीति में ही द्वंद है सरकार कितने समय में प्रक्रिया पूरी करेगी यह स्पष्ट नहीं है.