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बिहार लोक सेवा आयोग ने विद्यालय अध्यापक भर्ती परीक्षा का सिलेबस जारी कर दिया है और उम्मीद है कि अगले 1 या 2 हफ्ते के अंदर वैकेंसी जारी करते हुए आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है. हालांकि इसमें एक बड़ी खबर यह है कि भले ही कैबिनेट ने 178026 पदों के सृजन की स्वीकृति दी है लेकिन फिलहाल वैकेंसी लगभग डेढ़ लाख या इससे कुछ अधिक पदों के लिए ही आएगी.
वजह भी जान लीजिए
बिहार में पिछले 13 साल में तीन बार एसटीइटी परीक्षा का आयोजन हुआ है. पहली बार वर्ष 2011 में जिन विषयों के लिए एस टी ई टी परीक्षा का आयोजन हुआ था, उन विषयों पर आइए गौर करते हैं.
और अब गौर करते हैं उन विषयों पर जिनके लिए वर्ष 2019 के विज्ञापन के जरिए एसटीइटी परीक्षा आयोजित हुई.
और अब गौर करते हैं इस वर्ष आयोजित एसटीइटी परीक्षा के विषय पर-
अब अगर इन तमाम विषयों के लिए आयोजित परीक्षा पर ध्यान दें तो इस वर्ष जिन विषयों के लिए रिक्तियां संभावित हैं उनमें मुख्य रूप से इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, गृह विज्ञान, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र और संगीत समेत कई भाषाओं में भी पिछले 10 वर्ष से एसटीईटी परीक्षा का आयोजन नहीं होने की वजह से रिक्तियां आने की संभावना नहीं है. क्योंकि बीएड करने के बाद बिना एसटीइटी परीक्षा पास किए आप माध्यमिक या उच्च माध्यमिक शिक्षक नहीं बन सकते.
शिक्षक अभ्यर्थियों की परेशानी और नाराजगी इस बात को लेकर है कि एक तो सरकार बीपीएससी के जरिए परीक्षा का आयोजन कर रही है उसमें भी निगेटिव मार्किंग होगी. इन सबके बावजूद सभी विषयों के लिए परीक्षा का आयोजन नहीं होना भी अभ्यर्थियों के लिए बेहद चिंताजनक है. हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक आने वाले समय में अन्य विषयों के लिए एसटीईटी परीक्षा का आयोजन होगा. यही नहीं, 6 टू 8 में सामान्य अभ्यर्थियों के लिए कोई सीट नहीं होना भी अभ्यर्थियों की नाराजगी का बहुत बड़ा कारण है क्योंकि जो 1745 सीटें दर्शाई गई हैं वह भी सिर्फ विशेष बीएड वाले अभ्यर्थियों के लिए ही है. इधर पुराने शिक्षकों की नाराजगी और संभावित आंदोलन को लेकर भी स्थितियां सामान्य नजर नहीं आ रहीं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीपीएससी जब भर्ती परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी करेगा तो उसके बाद क्या प्रतिक्रिया होती है.
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