डॉ. अमरेन्द्र ने किया है अनुवाद, अंगिका विभाग में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में किया गया विमोचन
भागलपुर।। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अंगिका विभाग में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रणय प्रियंवद की हिंदी कविताओं के अंगिका अनुवाद – संग्रह ‘ कस्तूरी ‘ का विमोचन किया गया. इस अवसर पर अनुवाद करने वाले अंगिका के वरिष्ठ लेखक डॉ. अमरेन्द्र ने कहा कि प्रणय प्रियंवद संस्कृति के कवि हैं, राग के कवि हैं, इसी से इनकी कविताओं की भाषा भी हृदय- सत्ता से संचालित हैं, माधुर्य गुण से सम्पन्न है, लेकिन लक्षणा- व्यंजना का साथ भी नहीं छोड़तीं। साम्प्रदायिकता जैसे विषय पर कविता लिखते हुए जहां कई कवि बेहद उग्र दिखते हैं, वहां भी यह कवि तथागत की मुद्रा में सिर्फ गंभीरता से विचार ही करता दिखाई नहीं देता है, अभिव्यक्ति की कटुता को ढंकने के लिए फैंटेसी को साथ कर लेता है। कवि की प्रतिभा जरूरत के हिसाब से जन-भाषा की परिचित संज्ञाओं को प्रतीक बना लेती है । प्रतीकों के निर्माण में भी कवि कहीं भी जन सामान्य की समझ से अलग दिखने की कोशिश नहीं करता.
विश्वविद्यालय अंगिका विभाग में डॉ. योगेन्द्र की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में डॉ. योगेन्द्र व डॉ. अमरेन्द्र के अलावा भागलपुर यूनिवर्सिटी के छात्र कल्याण संकायध्यक्ष राम प्रवेश सिंह, अनिरुद्ध विमल आदि की उपस्थिति खास रही.
राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉं. योगेन्द्र ने अंगिका के पक्ष में वजनदार तर्क दिए। अंगिका भाषा की वर्त्तनी पर डॉ. पवन सिंह ने कई सुझाव रखे। अनिरुद्ध प्रसाद विमल, डॉ. मृदुला शुक्ला, डॉ. प्रदीप प्रभात और डा. ब्रह्मदेव कुमार ने विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण आलेखों का पाठ किया। संगोष्ठी का संचालन किया स्नातकोत्तर हिंदी विभाग की व्याख्याता डॉ. सुजाता कुमारी ने.