वह किताब जो बच्चों को सिखाएगी स्वच्छ आदतें


बिहार में प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए सरकार की अनूठी पहल

आरा, 10 जनवरी. बिहार आरम्भ से ही ज्ञान का केंद्र रहा है अपने अद्भुत और अनोखे ज्ञान के संचार के लिए विश्व मे अलग पहचान बनाने वाले बिहार में ज्ञान के जरिये ही बच्चों में अच्छी आदतों को दैनिक जीवन मे उपयोग के लिए सरकार ने एक किताब जारी किया है जिसके जरिये बच्चे अच्छे आदतों को अपने दैनिक जीवन मे शामिल करेंगे. इस किताब को लागू करने के लिए भोजपुर जिला अग्रणी है जहाँ से इसकी शुरुआत होगी.




“स्वच्छ आदत स्वच्छ भारत” मुहिम के तहत बिहार में भोजपुर जिला के लिए एक अभिनव एवं अनूठा पहल की शुरुआत की गई. इसके तहत बिहार में पहली बार प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए “स्वच्छ आदतें किताब” नामक पुस्तक को स्कूली पाठ्यक्रमो में शामिल कर कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के बच्चों को पढ़ाया जाएगा. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए उप विकास आयुक्त शशांक शुभंकर ने कहा कि हर सफल बच्चे के पीछे एक स्वच्छ स्कूल का हाथ होता है. बचपन में सिखाई गई आदतें हमें जीवन पर्यंत याद रहती है. स्वच्छता की आदतें सीखने और अनुसरण करने से बच्चे पूरे समाज को सही व्यवहार की ओर प्रेरित कर सकते हैं. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर “स्वच्छ आदतें किताब” नामक पुस्तक युनिलीवर के सहयोग से तैयार की गई है. इस पुस्तक में स्वच्छ आदतें सीखने और सिखाने के कई नए और प्रभावशाली तरीके बताए गए हैं. इस पुस्तक के माध्यम से स्कूली बच्चे स्वच्छ आदतों को सीख कर अपने परिवार एवं समाज में स्वच्छ व्यवहार के बारे में लोगों को जागरूक एवं प्रेरित करेंगे.

उन्होंने कहा कि इस योजना को रणनीतिक रूप से स्कूल स्तर पर क्रियान्वित करने हेतु कार्य योजना के तहत 22 जनवरी से 30 जनवरी तक प्रत्येक प्रखंडों में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के क्षमता संवर्धन हेतु युनिलीवर के योग्य एवं अनुभवी मास्टर ट्रेनर के माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है. इस कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत 2 फरवरी से भोजपुर जिला अंतर्गत सभी 1959 प्राथमिक विद्यालयो मैं किया जाएगा.

वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर स्थापित है कि कोई भी कार्य अगर लगातार 21 दिनों तक किया जाए तो वह आदत बन जाती है. इसलिए इस किताब के पाठ्यक्रम को इस तरह बनाया गया है कि वह 21 दिनों में समाप्त हो जाए. इसलिए इस किताब में लगातार 21 दिनों का पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है जिसे प्रतिदिन पढ़ाया जाएगा तथा 21 दिनों के बाद टेस्ट के आधार पर बच्चों के सीखें कार्यों का मूल्यांकन किया जाएगा.

21 दिनों में के पाठ्यक्रम में ये बातें होंगी शामिल:-
पहला दिन – कीटाणु क्या होते हैं.
दूसरा दिन – कीटाणु कैसे फैलते हैं.
तीसरा दिन – कीटाणु हमें कैसे बीमार करते हैं.
चौथा दिन – स्वच्छ आदतें -हाथ, मुंह और बम
पांचवा दिन – गंदा मतलब कीटाणु
छठा दिन – लैट्रिन करने की सही जगह.
सातवां दिन- हमें खुले में लैट्रिन क्यों नहीं करनी चाहिए.
आठवां दिन – टॉयलेट इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है.
नवा दिन – हम हाथों से क्या-क्या करते हैं.
दसवां दिन – स्वच्छ दिखतेे हाथों में भी कीटाणु हो सकते हैं.
11वां दिन – स्वच्छ दिखते हाथों में भी कीटाणु हो सकते हैं.
12 दिन – हमारे हाथों से कीटाणु कैसे फैलते हैं.
तेरहवां दिन – कब-कब साबुन से हाथ जरूर धोने चाहिए.
14वां दिन – साबुन से हाथ धोने का सही तरीका क्या है.
15 दिन – साबुन से हाथ धोना मत भूलना.
16 वा दिन – पानी किसके लिए जरूरी है.
17 वा दिन – पानी किस के लिए जरूरी.
18वां दिन – हम पानी से क्या क्या काम करते हैं.
19वां दिन – क्या हर शाख दिखता पानी स्वच्छ होता है.
20 वां दिन – हमें सिर्फ स्वच्छ पानी ही क्यों पीना चाहिए.
21 वां दिन हम पीने के पानी को स्वच्छ कैसे बना सकते हैं.

स्वच्छ आदतें किताब नामक पुस्तक की जानकारी देते हुए जिला स्वच्छ भारत प्रेरक निखिल कुमार ने बतलाया कि इस पुस्तक का प्रकाशन यूनिलीवर के सहयोग से भोजपुर जिला के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए किया गया है. स्वच्छ आदत स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता संग्राम भोजपुर के नारे के साथ जिला जल एवं स्वच्छता समिति के तत्वावधान में इस कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाया जाएगा. किताब के जरिये सिलेबस में शामिल कर स्वच्छता का संदेश प्रचारित प्रसारित करने हेतु गांव-गांव के बच्चों के मन में स्वच्छता का अलख जगाने के इस प्रयास से स्वच्छता हर घर तक पहुंचेगी. क्योंकि जब अच्छी आदतों को प्रति ये बच्चे जागरूक होंगे तो परिवार और आसपास के लोग इन बच्चों के दैनिक कार्यो को देखकर उनके कदमो पर चलने के लिए प्रेरित होंगे.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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