‘बिहार की भूमि विधियाँ’ से मिलेगा जमीन विवाद से जुड़े हर सवाल का जवाब

पुस्तक ‘बिहार की भूमि विधियाँ’ का अपर मुख्य सचिव ने किया विमोचन

हिंदी में उपलब्ध इस पुस्तक में भूमि संबंधी सभी कानून किये गए हैं समाहित : दीपक कुमार सिंह




पटना : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बुधवार को अपने कार्यालय कक्ष में ‘बिहार की भूमि विधियाँ’ पुस्तक का विमोचन किया. इस अवसर पर सचिव जय सिंह, किताब के लेखक राधा मोहन प्रसाद, विभाग के विशेष सचिव अरुण कुमार सिंह, संयुक्त सचिव अनिल कुमार पांडेय तथा आजीव वत्सराज भी उपस्थित थे.

पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुये अपर मुख्य सचिव ने बताया कि ‘इस एक किताब से जमीन के कानून से संबंधित सभी अधिनियमों एवं नियमावली की जानकारी रैयतों को एक ही स्थान पर मिल सकेगी। हिंदी में उपलब्ध कराई जा रही यह पुस्तक सभी के लिए उपयोगी है। पुस्तक में विभाग के द्वारा समय-समय पर जारी की जाने वाली भूमि सुधार संबंधी नीतियों को भी समेकित किया गया है। इसमें बेतिया राज की संपत्तियों को निहित करने वाले अधिनियम, 2024 को भी जगह दी गई है ।

उन्होंने कहा कि आजादी से पूर्व के सभी अधिनियम अंग्रेजी भाषा में थे, जिन्हें समझने में लोगों को परेशानी होती थी। इस पुस्तक में बिहार काश्तकारी अधिनियम, 1885, बंगाल एलुवियन एवं डिल्यूवियन विनियम, 1825; बंगाल एलुवियन एवं डिल्यूवियन एक्ट, 1847; बंगाल गंगबरार भूमि बन्दोबस्ती अधिनियम, 1858; बंगाल गंगबरार संशोधन अधिनियम, 1868; बिहार बकाश्त विवाद निपटारा अधिनियम, 1947 अधिनियम सभी का हिन्दी अनुवाद किया गया है।

विभाग के सचिव जय सिंह ने कहा कि भूमि विधियों को विभिन्न कोटि के राजस्व न्यायालयों/प्राधिकारियों/ अधिवक्ताओं/ आम काश्तकारों/व्यक्तियों के लिए सर्व सुलभ बनाने के उद्देश्य से उन्हें समेकित रूप से एक साथ जिल्दबद्ध रूप में प्रकाशित किया गया है। इस हेतु ‘बिहार की भूमि विधियाँ शीर्षक’ अन्तर्गत जमींदारी उन्मूलन के पूर्व में अधिनियमित तथा वर्ष 1950 के बाद विभिन्न भूमि विषयों से सम्बन्धित अधिनियमों, नियमावलियों, खास महाल नीति, रैयती भूमि लीज नीति को एक साथ संकलित कर हिन्दी भाषा में पुस्तकबद्ध रूप दिया गया है।

ज्ञात हो कि भूमि विधियों के निर्माण का प्रारंभ ब्रिटिश शासन काल में भूमि को भू-सम्पदा स्वीकार करने के उपरांत हुआ। आरम्भिक काल में भूमि विधियों के निर्माण का केन्द्रीय उद्देश्य भू-राजस्व का निर्धारण एवं उसके संग्रहण से सम्बन्धित रहा। बाद के समय में भूमि विधियों के माध्यम से काश्तकारों को उनके अधिकार प्रदान करते हुए, उनके अधिकारों की स्पष्ट व्याख्या करना भूमि विधियों का उद्देश्य रहा। 1950 के बाद बिहार भूमि सुधार अधिनियम, 1950 तथा नियमावली, 1951 के लागू होने के बाद जमींदारी का उन्मूलन हो गया। राज्य सरकार द्वारा भूमि सुधार की नीतियों को प्रचालित करने के उद्देश्य से समय-समय पर कानून बनाये जाते रहे हैं.

इस पुस्तक में बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त अधिनियम, 2011, बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त नियमावली, 2012 (संशोधन नियमावली, 2024 द्वारा यथासंशोधित), बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम, 2011, बिहार भूमि दाखिल-खारिज नियमावली, 2012 (संशोधन नियमावली, 2017), बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009, बिहार भूमि विवाद निराकरण नियमावली, 2010 तथा बिहार भूमि न्यायाधिकरण नियमावली, 2010, बिहार कृषि भूमि (गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए सम्परिवर्तन) अधिनियम, 2010 एवं बिहार कृषि भूमि (गैर कृषि प्रयोजनों के लिए सम्परिवर्तन) नियमावली, 2011 सहित कुल 47 भूमि सुधार संबंधित कानूनों को समाहित किया गया है.

उल्लेखित अधिनियमों के प्रावधानों से जहाँ बिहार के काश्तकारों/भूधारियों को लाभ मिला है, दूसरी ओर विभिन्न कोटि के राजस्व प्राधिकारियों के द्वारा भूमि से सम्बन्धित विभिन्न प्रकृति के राजस्व वादों के निष्पादन में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है.
लेखक राधा मोहन प्रसाद ने कहा कि उल्लेखित अधिनियमों, नियमावलियों के प्रावधानों को अधिनियम से सम्बन्धित वाद राजस्व न्यायालयों में दायर होने पर विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा सुसंगत धाराओं की विवेचना कर तथ्यों को सुस्पष्ट किया जाता रहा है। हिंदी में इस पुस्तक के प्रकाशन से सभी वर्ग के लोग जमीन संबंधित समस्या के समाधान इससे कर सकेंगे.

बिहार की भूमि विधियों से सम्बन्धित इस पुस्तक को प्रकाशित करने, उन्हें सर्व सुलभ बनाने का अति महत्त्वपूर्ण कार्य प्रीतम लॉ हाउस प्राइवेट लिमिटेड, सालिमपुर अहरा, पटना द्वारा किया गया है. लेखक ने कहा कि इस कार्य के लिए प्रीतम लॉ हाउस के प्रोपराईटर सर्वश्री प्रीतम कुमार, उत्तम कुमार धन्यवाद के पात्र हैं। आशा है इस पुस्तक का लाभ बिहार के आमजनों, राजस्व प्राधिकारियों, विद्वान अधिवक्ताओं को प्राप्त हो सकेगा.

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