देश-विदेश के कलाकारों का मिलन का गवाह बना बोधगया का होटल सुजाता विहार
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के संगम के रूप में दिखा बोधगया विनाले
बालन नंबियार, रजत घोष, अजीत दुबे, इंदर सलीम, युसूफ, मनीष पुष्कले, प्रतूल दास, धर्मेंद्र राठौड़, विनय वर्गीज, शोविन भट्टाचार्य भी शामिल
अरुण पंडित, अमरेश, नरेश कुमार, उदय पंडित समेत कई अन्य कलाकारों की करीब सौ कलाकृतियां प्रदर्शित
मंजूषा कला को भी बिनाले में दिया गया है प्रतिनिधित्व
बिहार में कला की असीम संभावनाएं हैं
बोधगया बिनाले में 18 दिसंबर से फिल्मों की क्यूरेटेड प्रदर्शनी ‘बाइस्कोप’ की भी शुरुआत हो रही है
बोधगया बिनाले के पहले दिन न केवल देश के कई वरिष्ठ कलाकारों और बिहार के वरिष्ठ प्रशासकों ने कला प्रदर्शनी से साक्षात्कार किया, बल्कि युवा कलाकारों ने भी अपनी कलाकृतियों से सबका ध्यान खींचा. इस मौके पर बिहार सरकार के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं बोधगया बिनाले के संरक्षक चंचल कुमार, आईसीसीआर बिहार के क्षेत्रीय निदेशक शत्रुध्न सिन्हा, मगध रेंज के डीआईजी सौरभ कुमार, गया के डीएम कुमार रवि, गया की एसएसपी गरिमा मलिक भी कलाकृतियों को देखने पहुंची. देश के ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ कलाकारों में शामिल बालन नंबियार, रजत घोष, अजीत दुबे, इंदर सलीम, युसूफ, मनीष पुष्कले, प्रतूल दास, धर्मेंद्र राठौड़, विनय वर्गीज, शोविन भट्टाचार्य भी बिनाले में दिखे. इनमें से ज्यादातर कलाकारों की कलाकृतियां बिनाले में प्रदर्शित की गयी हैं. युवा कलाकारों में अरुण पंडित, अमरेश, नरेश कुमार, उदय पंडित समेत कई अन्य कलाकारों की करीब सौ कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी हैं.
बिहार की परंपरागत मिथिला कला के अग्रणी नाम संतोष कुमार दास और शांति देवी के अलावा मधुबनी की युवा कलाकार महालक्ष्मी कर्ण की कलाकृतियां शामिल हैं. मंजूषा कला को भी बिनाले में प्रतिनिधित्व दिया गया है और मजूषा कला के वरिष्ठ कलाकार मनोज पंडित की कलाकृति प्रदर्शित की गयी है. बोधगया बिनाले के थीम वर्तमान समय में शांति की तत्कालिता पर आयोजित चर्चा में कलाकारों ने अपने-अपने विचार रखे.
बिनाले के क्यूरेटर डायरेक्टर विनय कुमार ने इस थीम के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि कला का मुख्य उदेश्य यह है कि जीवन की बेहतर कैसे बनाया जाए. इस चर्चा में वरिष्ठ कलाकार बालन नांबियार और मनीष पुष्कले, जानी-मानी नृत्यांगना प्रिया वेंटकरमण और कला-लेखक विनोद भारद्वाज ने हिस्सा लिया. बालन नांबियार ने राष्ट्रीय कला-साहित्य और समाज के आइने में बिहार की झलक प्रस्तुत करते हुए कहा कि बिहार बुद्ध, महावीर या गुरुगोविंद का ही प्रदेश नहीं रहा है, बल्कि यह देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण का भी प्रदेश है. मनीष पुष्कले ने ‘शांति की तात्कालिकता’ पर जोर देते हुए कहा कि ‘हमें यह देखना होगा कि हम किस शांति की बात कर रहे हैं. क्योंकि हम एक साथ अनेकों किस्म की शांति में रहते हैं और हर शांति अपने अकेले में अधूरी होती है’.
जाने-माने कला लेखक विनोद भारद्वाज ने बोधगया बिनाले को अनूठा बताते हुआ कहा कि बिहार में कला की असीम संभावनाएं हैं और बोधगया बिनाले में जिस तरीके से कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है, यह जल्दी ही देश भर में आयोजित किये जाने वाले कला आयोजनों में प्रमुखता से अपनी जगह बनाएगा. विदित है कि चाक्षुष कला के अलावा प्रदर्श कलाओं में बिहार को भी बोधगया बिनाले में प्रमुखता दी गयी.
प्रदर्श कला के कार्यक्रम की शुरुआत मंजूषा कला के वरिष्ठ कलाकार मनोज पंडित की प्रस्तुति से हुई जिसमें उन्होंने बिहुला-विषहरी की पूजा-अर्चना की गीतीमय प्रस्तुती दी. इसके बाद पटना की किलकारी संस्था से जुड़े स्कूली बच्चों ने शाम में अपनी सूफियाना गायिकी से समा बांध दिया. बोधगया बिनाले में 18 दिसंबर से फिल्मों की क्यूरेटेड प्रदर्शनी ‘बाइस्कोप’ की भी शुरुआत हो रही है जिसमें देश के वरिष्ठ कलाकार गणेश पाइन पर बनी बुद्धदेव दासगुप्ता की फिल्म एक पेंटर ऑऱ एलोक्वेंट साइलेंस, मिथिला कला के कथानकों में शामिल नैना-जोगिन पर प्रवीण कुमार की फिल्म दिखायी जाएगी.
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार फिल्म निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर गंगा कुमार करेंगे. आज जानी-मानी अभिनेत्री सारिका एक टॉक शो का संचालन भी करेंगी. इसके अलावा आज पीस कॉन्फ्लिक्ट और आर्ट पर बातचीत भी की जाएगी जिसमें प्रोफेसर वाई एस एलोनी, डॉ. एस संतोष और वेष्णवी रामानाथन अपने विचार रखेंगी. दूसरे सत्र में एग्जीबिशन, म्यूजियम एवं बिनाले विषय पर टॉक शो होगा जिसमें नानक गांगुली विनोद भारद्वाज और पॉलोमी दास अपने व्यक्तव्य रखेंगी.