RPF कमांडेंट के इंस्पेक्टर बेटे समेत 7 की मौत
31 मार्च को हो जाते रिटायर्ड, पर उससे पहले ही छोड़ दिया जिंदगी ने साथ
आरा के बड़हरा के बड़का लौहर गाँव के निवासी शेषनाथ सिंह के लिए बुधवार काला दिन बनकर आया. हावड़ा से आरा आने के क्रम में एक सड़क हादसे में परिवार के सात लोग काल के गाल में समा गए। शेषनाथ सिंह RPF कमांडेंट के पद पर हाजीपुर में कार्यरत थे। पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान के तेजगंज में हुए इस सड़क हादसे में उनकी पत्नी निर्मला देवी, इंस्पेक्टर पुत्र राजन सिंह, पुत्रवधु, एक पौत्र और दो पौत्रियों की मौके पर ही मौत हो गई।
इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना के बाद परिजनों के शवों को विभूति एक्सप्रेस से आज सुबह लाया गया जहाँ से उन्हें उनके पैतृक गाँव बड़का लौहर RPF के जवानों ने सम्मान के साथ लाया।
चीत्कार से सिहरा गाँव, आँसुओ के छलके सैलाब
घटना की जानकारी जैसे ही कल फोन से परिजनों को मिली पूरा गाँव जैसे गमगीन हो गया। सगे संबंधियों के क्रंदन और विलाप से गाँव में जैसे मातमी सन्नाटा पसर गया। आज सुबह शव के आते ही पूरा गाँव इक्कठा हो गया और मातमी सन्नाटा चीत्कार में बदल गया। हृदय विदारक इस घटना में ढाँढस बनाने वाले भी अपने को नहीं रोक पा रहे थे। सबके आँखों में आँसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा। क्रंन्दन जिन्होंने रोका उनके आँखों से आँसुओ के सैलाब घंटो छलकते रहे। RPF के वरीय अधिकारियों ने कमान्डेंट शेषनाथ और उनके बेटे समेत सभी मृतकों को श्रद्धांजलि दिया।
कैसे हुयी यह दुर्घटना?
मृक्तक RPF कमान्डेंट शेषनाथ सिंह अपनी पत्नी के साथ बड़े बेटे राजन सिंह के पास एक हफ्ता पूर्व हावड़ा गए थे। बड़ा बेटा राजन सिंह हावड़ा में ही RPF में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत था। उन्होंने वहां से एक नयी कर खरीदी, जिससे पूरा परिवार तारापीठ में पूजा कर आरा लौटने वाला था। इसी बीच वर्धमान के तेजगंज के पास हाइवे पर एक अलकतरा लदी टैंकर कर को ओवरटेक कर आगे बढ़ने के क्रम में रोड के दिभाईडर से टकरा गई, जिससे कार उसकी चपेट में आ गया और पूरा परिवार ही मौके पर समाप्त हो गया। टक्कर तेज गति में दोनों गाड़ियों के होने की वजह से जबर्दस्त हुआ जिससे दोनों गाड़ियों में आग लग गयी। दुर्घटना की सूचना पाते ही बंगाल पुलिस मौके पर पहुँची।
रिटायरमेंट से पहले ही जिंदगी ने छोड़ दिया साथ
मृक्तक के चचेरे भाई जो आर्मी से रिटायर्ड हैं ने बताया कि इसी साल 31 मार्च को शेषनाथ सिंह रिटायर्ड भी होने वाले थे लेकिन कौन जानता था कि रिटायर्ड से पहले जिंदगी इस तरह साथ छोड़ देगी। उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद उनका गाँव में ही रहने का प्लान भी था। वो हाजीपुर से निकलते वक्त भी बोल के गए थे कि गुरुवार तक वापस लौट आएँगे। लेकिन गुरुवार को कुछ लौटा तो वो सात लोगों का शव, क्योंकि बुधवार की सुबह ही जैसे काल का बुधवार बन कर आ गया.
आरा से ओ पी पांडे