‘बिहार में बर्ड टूरिज्म की व्यापक संभावनाएं’

पटना।। बिहार में 4000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक वेटलैंड्स हैं जिनकी वजह से हर साल लाखों की संख्या में देसी और विदेशी पक्षी बिहार का रुख करते हैं और लंबा समय यहां बिताते हैं. इन देसी विदेशी पंछियों की वजह से वातावरण बेहद आकर्षक हो जाता है. वेटलैंड्स और विभिन्न पक्षियों की वजह से पर्यटन की व्यापक संभावनाओं को लेकर बिहार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से कार्यशाला का आयोजन हो रहा है.

पटना में आयोजित इस तीन दिवसीय लेकर कार्यशाला के पहले दिन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार के द्वारा बॉम्बे नेचुरूल हिस्ट्री सोसाईटी, मुंबई के सहयोग से तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय पक्षी-कार्यशाला (5-7 फरवरी, 2024) का उद्घाटन विभाग के सचिव, वंदना प्रेयषी के द्वारा किया गया. वंदना प्रेयषी ने कहा कि बिहार राज्य में पाँच पक्षी-आश्रयणी, एक-एक पक्षी संरक्षण आरक्ष एवं सामुदायिक संरक्षण आरक्ष हैं. राज्य में 4000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आर्द्र-भूमि है जो प्रवासी-पक्षियों के लिए सर्वोत्तम अधिवास है.




इनके संरक्षण के लिए विभाग ने सक्रिय भूमिका निभायी है. उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यशाला में न सिर्फ देश के विभिन्न राज्यों से बल्कि कई देशों से पक्षी-विशेषज्ञ एकत्रित हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से पक्षी-संरक्षण के क्षेत्र में चुनौतियों की पहचान होगी और उसका सही समाधान और तदनुरूप कार्य-योजना बनेगी. पक्षी-संरक्षण सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है. राज्य में पक्षी-पर्यटन की प्रचुर संभावनाएं हैं, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार एवं आय के अवसर भी सृजित होंगे.

इस अवसर पर विंग्स ऑफ सुंदरबन और भागलपुर बर्ड-एटलस का पोस्टर का विमोचन सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार के कर कमलों के द्वारा किया गया.

इस अवसर पर प्रभात कुमार गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक, बिहार ने अपने उद्बोधन में बताया कि विभाग के द्वारा 2015 से कदवा दियारा, भागलपुर में स्थानीय गैर सरकारी संगठन, जो वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे थे, के साथ मिलकर गरूड़-संरक्षण का कार्य वैज्ञानिक विधि से शुरू किया गया और गरूड़-बचाव एवं पुर्नवास केन्द्र भी स्थापित किया गया. परिणामस्वरूप गरूड़ की संख्या में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि होने लगी. विदित हो कि गरूड़ के समूह दुनिया में मात्र तीन स्थान पर ही है. इस सफलता ने कदवा दियारा को अन्तर्राष्ट्रीय बर्ड मैप पर ला दिया. उन्होंने कहा कि पक्षी-संरक्षण के क्षेत्र में शोध एवं विस्तार के उद्देश से बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाईटी के सहयोग से वर्ष 2020 में भागलपुर में बर्ड रिंगिंग एवं मॉनिटीरिंग स्टेशन स्थापित किया गया. राज्य में वर्ष 2022 से प्रत्येक वर्ष जल-पक्षी गणना की जा रही है और सुखद रूप से उनकी संख्या में प्रत्येक वर्ष वृद्धि हो रही है. वर्ष 2021 से पक्षी-महोत्सव आयोजन की परंपरा शुरू की गयी है जिससे लोगों में जागरूकता बढ़े.

मो० साजिद सुल्तान, सहायक वन महानिरीक्षक, NTCA, भारत सरकार ने लदाख में उनके द्वारा ब्लैक नेक्ड क्रेन के संरक्षण के बारे में विस्तार से बताया.

बांग्लादेश वन विभाग के पक्षी-विशेषज्ञ मो अलामा शिबली सादिक ने बताया कि बांग्लादेश में 700 से अधिक प्रजातियों के पक्षी हैं. उन्होंने इस बात पर बल दिया पक्षी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को नहीं जानते है और एक देश से दूसरे देश जाते है. देशों के बीच आपसी सहयोग से उनका बेहतर संरक्षण होगा. भूटान के वन विभाग की प्रतिनिधि सुश्री शेरिंग पेल्डन ने इस प्रकार के अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन को पक्षी-संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया.

आज कार्यशाला के पहले दिन पक्षी-संरक्षण के विषय पर विमर्श किया गया. अगले दिन पक्षियों के गैर-कानूनी शिकार, व्यापार तथा उसके रोकथाम के विषय पर विमर्श होना है। इस कार्यशाला में भूटान के शांतालाल गजमेर, नेपाल के मोहन विक्रम श्रेष्ठ, कजाकिस्तान के आर्टीयोम खोखो, श्रीलंका की गायोमिनी पानागोडा, सेवानिवृत अपर महानिदेशक, वाईल्ड लाइफ, सौमित्र दास गुप्ता, भरत ज्योति, सेवानिवृत निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादमी, राजेश कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पश्चिम बंगाल, गीतांजली कँवर, वर्ल्ड वाइल्ड फंड, डॉ धनंजय मोहन एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक, उत्तराखंड सहित अनेक पक्षी-विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए और पक्षी-संरक्षण के विषय पर आपसी विमर्श किया.

इस कार्यशाला में आठ देशों (नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यानमार, कजाकिस्तान, सिंगापुर तथा नीदरलैंड) के 15 पक्षी-विशेषज्ञों ने भी भाग लिया.

pncb

By dnv md

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