बिहार में नई सरकार बनते ही सरकार के मुखिया ने शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े बदलाव करके इसे बेहतर करने की तैयारी भी तेज कर दी है. गुरुवार को पटना में सीएम की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक हुई. इसमें डिप्टी सीएम सुशील मोदी, शिक्षा मंत्री केएन वर्मा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, शिक्षा सचिव आर के महाजन और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.
बैठक में खराब परफॉर्मेन्स वाले शिक्षकों और अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ, स्कूलों की व्यवस्था बेहतर करने, शिक्षकों की संख्या बढ़ाने, स्मार्ट क्लास चलाने और टीचर नहीं मिलने पर गेस्ट फैकल्टी के जरिए बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने पर ना सिर्फ चर्चा हुई बल्कि निर्णय भी लिए गए.
एक नजर प्रस्तावित बदलाव और सुधारों पर-
- सरकार इस बार इंटर परीक्षा में परीक्षा के पैटर्न में बदलाव करेगी. परीक्षा में ऑब्जेक्टिव प्रश्नों की संख्या बढ़ेगी.
- अंग्रेजी, विज्ञान और गणित के शिक्षकों की कमी दूर होने तक हाई स्कूलों और प्लस टू स्कूलों में इन विषयों की पढ़ाई स्मार्ट क्लास के माध्यम से होगी. इसके लिए बाहर की एजेंसी तय होगी.
- विज्ञान और गणित में गेस्ट फैकल्टी की व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है. संभव है इंजीनियरों की सेवा बच्चों को पढ़ाने के लिए ली जाए. केंद्र सरकार से यह अनुरोध भी किया जा रहा है कि अगर बीएड के साथ शिक्षक नहीं मिलते हैैं तो बगैर बीएड के नियुक्ति की अनुमति दी जाए.
- शहरी क्षेत्र में एक ही विद्यालय परिसर में कई स्कूल चल रहे हैैं. यह व्यवस्था खत्म कर अब सभी स्कूलों को एक स्कूल में तब्दील कर दिया जाएगा. एक स्कूल की क्षमता से अधिक शिक्षकों को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाएगा.
- स्कूलों में शौचालय की साफ-सफाई के लिए 53000 स्कूलों में ओवरहेड टैैंक बनाया जाएगा. पहले की तरह बच्चों में स्वास्थ्य मंत्री बनाया जाएगा. बच्चे अपने शौचालय को साफ रखें इसकी उन्हें आदत दिलायी जाएगी.
- पिछले तीन वर्षों में जिन अनुदानित विद्यालयों को भवन और लाइब्रेरी के लिए पैसा दिया गया उनकी जांच होगी. अगर उन्होंने आधारभूत संरचना विकसित नहीं की तो उनके अनुदान बंद होंगे.