मनी ऑर्डर इकोनॉमी से चलता है बिहार: राजीव प्रताप रूडी




बिहारी आगे तो पीछे क्यों है बिहार

विभाजनकारी है जातीय सर्वेक्षण.. नीयत साफ नहीं

संजय मिश्र,दरभंगा

एजेंडा 2025, दृष्टि बिहार इसी लक्ष्य के साथ बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी राज्य में अभियान चला रहे हैं. लोगों को जगा रहे .. कि उनके सहित तमाम दलों के नेताओं से सवाल पूछिए. सवाल का थीम हो कि बिहारी हर जगह आगे तो पीछे क्यों है बिहार ? याद दिलाते कि विभाजनकारी नीतियों के आसरे नेता राज कर रहे और बिहार पिछड़ता ही जा रहा है.आमजन की कोई परवाह नहीं.

पार्टी से रूष्ट चल रहे सारण के सांसद रूडी अपने अभियान के क्रम में शनिवार को दरभंगा में थे. पोलो ग्राउंड ऑडिटोरियम में जमा हुए प्रबुद्ध जनों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कब तक मनी ऑर्डर इकोनॉमी (राज्य से बाहर जाकर कमाने वाले की घर भेजी गई रकम) से बिहार चलेगा. उन्होंने बताया कि रोजी रोटी खातिर पलायन कर गए लोग अपने घर जो पैसे भेजते हैं वो आंकड़ा करीब 2 लाख 84 हजार करोड़ रुपए से अधिक है. और सरकार इसी राशि में से राज्य के अधिकारी और कर्मचारी को वेतन देती है.

बिहार में उद्योग धंधे हैं नहीं लिहाजा आमदनी का स्रोत लगभग सूखा हुआ है. रूडी ने ध्यान दिलाया कि मजबूरी में दुखी होकर लोग बिहार छोड़ते हैं. और मस्त होकर राज करने वाले नेता पलायन करने वालों की आमदनी से सत्ता सुख ले रहे. ऐसा इसलिए कि बिहार में रह रहे लोग अपने नेताओं पर तीखे सवाल नहीं उठाते. यही कारण है कि नेता मानते कि आप (राज्य में रहने वाले) हैं कौन? देश और दुनिया में बिहार से पलायन करने वालों की संख्या 4 करोड़ पार है. जिनमें सभी जाति और धर्म के लोग हैं.उन्होंने कहा कि बांटो और राज करो की तर्ज पर राजनीति चलती है यहां. उन्होंने याद दिलाया कि वी पी सिंह के समय सवर्ण और गैर सवर्ण के बीच खाई बनाई गई. बाद में पिछड़ा और अति पिछड़ा में मतभेद और आखिरकार दलित और महादलित का बंटवाड़ा.

अपनी विशिष्ट शैली में तंज कसते हुए बीजेपी नेता ने नीतीश कुमार से पूछा कि जब राज्य ही पिछड़ा तो राज्यवासी भी पिछड़े हुए. रूडी भी फॉरवर्ड नहीं बल्कि पिछड़े ही हुए. किसी को सवर्ण मान धकियाने की क्या जरूरत? पलायन करने वाले सभी जाति और धर्म के लोग हैं लिहाजा पिछड़े ही हुए! उन्होंने कहा कि वे पलायन करने वालों की जाति के हैं. उन्होंने नीतीश के जातीय सर्वेक्षण कराने के कदम को समाज में तनाव पैदा करने वाला निर्णय करार दिया. रूडी ने नीतीश से पूछा लिया कि जातीय सर्वेक्षण की परिधि में क्या वो 4 करोड़ लोग शामिल हैं जो बाहर रह कर कमाते हैं लेकिन घर पर रहने के सुख के लिए तड़पते हैं.. परिवार के पास रह कर नौकरी कर बिहार की उन्नति का कारक बनते. उन्होंने चुटकी लेते कहा कि कुर्सी ही ज्ञान है और उस ज्ञान के सामने आप कोई कुछ नहीं.

उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं है. बीजेपी नेता ने हाई कोर्ट के निर्णय का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं होने पर सरकार से जवाब तलब किया गया है. पेटिशनर रूडी ने दावा किया कि पटना एयरपोर्ट लैंडिंग के लिए बेहद खतरनाक जगह है. बिहटा से भी काम नहीं चलेगा. गौर करने वाली बात है कि दरभंगा एयरपोर्ट में संभावना है तो उसके विकास में राजनीति हो रही है. हाई कोर्ट ने बकौल रूडी शनिवार को ही ऐतिहासिक फैसला दिया है कि राइट टू सेफ ट्रैवल इज कांस्टीट्यूशन राइट. इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा है कि तीन महीने में सरकार बताए कि ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बिहार में कहां और कब बनेगा?

सीएम समाधान यात्रा करते, पीके पदयात्रा पर हैं. तो रूडी का अपना अभियान चल रहा है. पार्टी में उनकी उपेक्षा है. और पॉलिटिकल पंडित मान रहे हैं कि इस अभियान के जरिए सक्रिय और संवेदनशील राजनेता की छवि बनाने के साथ ही वे बीजेपी पर अपेक्षित दवाब बनाने की कोशिश में हैं. संबोधन के दौरान ही पार्टी में उपेक्षा उनकी जुबान से छलक ही गए. उन्होंने कहा कि इसी ऑडिटोरियम में कुछ ही दिन पहले बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की अहम बैठक हुई जिसमें उन्हें बुलाया गया था. वे आए भी और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर पार्टी नेताओं के भाषण सुनते रहे. आपको बता दें कि किसी ने रूडी को मंच पर नहीं बुलाया और न ही कोई सलाह ली गई. रूडी के कार्यक्रम में मंच पर रीता सिंह आसीन दिखीं. राजनीति पर नजर रखने वालों की नजर उनपर टिकी रहीं. असल में हाल ही में संपन्न हुए मेयर चुनाव में वे उम्मीदवार थीं. लेकिन हार के बाद अपनी कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर चुनाव में सहयोग नहीं करने का उन्होंने आरोप लगाया था. कयास है कि वे कांग्रेस छोड़ कर किसी दूसरी पार्टी का दामन थामने वाली हैं.

By pnc

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