3 दिनों में ही 1 लाख से ज्यादा लोग पहुँचे
17 राज्यों की संस्कृति एक साथ पटना में
पटना,19 दिसंबर. बिहार की राजधानी पटना के लिए रविवार का दिन खास रहा. क्योंकि इस दिन पटना के हृदय स्थली में लगे सरस मेला में 70 हजार से ज्यादा लोग आये और अपनी सदियों पुरानी लोक संस्कृति, लोक शिल्प और देशी व्यंजनों का स्वाद का लुत्फ उठाया. बिहार सरस मेला में 500 से ज्यादा स्टॉल पर हमारे देश के विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति, हस्त शिल्प, परंपरा और देशी व्यंजन ग्रामीण महिलाओं, शिल्पकारों एवं स्वरोजगारियों द्वारा प्रदर्शित है.
बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति, जीविका के तत्वाधान में बिहार सरस मेला 15 से 29 दिसंबर 2023 तक गाँधी मैदान, पटना में सुबह 10 बजे से सायं 8 बजे तक आयोजित है.
बिहार समेत 22 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण महिला उद्यमी अपने-अपने प्रदेश की हस्तशिल्प, लोक कला, संस्कृति एवं व्यंजनों का प्रदर्शन एवं बिक्री कर रही है. बिहार के मिथिलांचल की ओर से मधुबनी चित्रकला, सिक्की कला और मखाना, भागलपुर से सिल्क से बने मनोरम परिधान, कैमूर से दरी और कालीन, मुजफ्फरपुर से लहठी और चूड़ी , पूर्वी चंपारण से आये सीप से बनी कलाकृतियों के साथ-साथ कटिहार के आये बांस से बने गृह सज्जा के उत्पाद, पटना जिले से कांस्य एवं पीतल धातु से बने बर्तन, भोजपुर से क्रोसिया कला, दरभंगा और मधेपुरा से आये चमरे के उत्पाद, पूर्णिया से आये मलबरी के धागों से बनी सुन्दर साड़ियाँ, गया जिले के पत्थारकट्टी कला एवं लकड़ियों से बने गृह सज्जा के उत्पादों के साथ-साथ भागलपुर के कतरनी चावल और चुडे ने पूरे सरस मेला को अपनी सुन्दरता और खुशबु से सराबोर कर दिया.
अन्य राज्यों मध्य प्रदेश से आये बुटिक और चंदेली प्रिंट की साड़ियाँ, आन्ध्र प्रदेश से आये गरम मसाले एव लकड़ी के गृह सज्जा के उत्पाद, ओड़िसा से आये सवाई घांस से बने साज-सज्जा के उत्पाद एवं सांस्कृतिक परिधान, हरियाणा से एप्लिक कला से सुसज्जित चादर और साड़ियाँ, गुजरात के कच्छ के रण से आये कच्छी कला से बने परिधान, मिटटी के बर्तन, झारखंड से आये जन जातीय कबीलों से आये हुए शिल्पकारों द्वारा निर्मित हर्बल औषधियों के साथ साथ मनमोहक आदीवा गहने और जूट से बने अन्य उत्पाद खूब बिके.
असाम से आये बांस से बने उत्पाद, पंजाब से आये फुलकारी कला से बने परिधान एवं हस्तनिर्मित परिधान, पश्चिम बंगाल से आये खजूर के पत्तों से बने मनमोहक कृत्रिम फूलों एवं पत्थर तथा बांस के बने उत्पाद, तेलंगाना से एप्लिक वर्क की चादरें, छोटे बच्चों के हस्तनिर्मित परिधान एवं जूट तथा चमरे से बने उत्पाद, छत्तीसगढ़ से आये अत्यंत मनमोहक सलवार-सूट और साड़ियों ने सरस मेला में देश के विभिन्न प्रदेशों के आहार-व्यवहार , परंपरा, लोक कला, शिल्प एवं संस्कृति जीवंत किया है.
उत्तर प्रदेशों के सहारन की काष्ठ शिल्प लोगों को सहज ही लुभा रहा है. झूले, टेबल, पलंग समेत घर – दुकान की जरुरत एवं सजावट के उत्पादों की खूब बिक्री हो रही है.
बिहार सरस मेला के दुसरे दिन 16 दिसंबर को 44 हजार से ज्यादा लोग आये और लगभग 73 लाख 03 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई. दो दिनों में लगभग 83 लाख 13 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है. रविवार को खरीद-बिक्री का आंकड़ा 1 करोड़ रूपया पार कर गया.
जीविका दीदियों द्वारा संचालित शिल्पग्राम एवं मधुग्राम के स्टॉल से बड़े पैमाने पर उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री हो रही है. व्यंजन परिसर में जीविका दीदी की रसोई के साथ ही व्यंजनों के विभिन्न स्टॉल पर शुद्ध, देशी एवं पौष्टिक व्यंजन का लुत्फ़ आगंतुक उठा रहे हैं.
इसके साथ ही प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार, परिचर्चा, सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु जन-जागरूकता कार्यक्रम एवं नुक्कड़ नाटक सरस मेला परिसर में आयोजित हैं.
सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत मुख्य मंच पर सुशीला श्रीकला के कलाकारों ने लोक गीत, पचरा एवं गजल की प्रस्तुति की. कलाकारों में लालकेश्वर एवं रजा कुमार ने अपने लोकगीत से समां बाँधा. की बोर्ड पर मुन्ना रफ़ी , नाल पर अनिल कुमार एवं आक्टोपैड पर रंजित ने संगत दिया. इससे पूर्व महिला एवं बाल विकास निगम के तत्वाधान में विद्या केंद्र के कलाकारों द्वारा दहेज़ प्रथा एवं बाल विवाह उन्मूलन पर गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति की गई. कलाकारों में शालू, पूजा, नीतू, गुड्डू, रत्नेश, विट्टू, मनोज, मुन्ना, दीपक एवं अभिषेकं रहे. तत्पश्चात कला संस्कृति एवं युवा विभाग के तत्वाधान में बारहमासा एवं लोक गीत के तहत “आज मिथिला नगरिया नेहाल सखिया” एवं झिझिया लोकनृत्य की प्रस्तुति की गई.
सेमिनार हॉल में जीविका के तत्वाधान में शिक्षा से गरीबी उन्मूलन विषय सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में राज्य के 32 जिलों में जीविका दीदियों द्वारा संचालित सामुदायिक पुस्तकालय सह करियर विकास केंद्र के माद्यम से शिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों पर चर्चा हुई. इसके साथ ही मीडिया लिटरेसी को लेकर भी लोगों को जागरूक करने हेतु विभिन्न आयामों पर चर्चा हुई. इस चर्चा में पुष्पेन्द्र सिंह तिवारी, राज्य परियोजना प्रबंधक-जीविका, प्रथम से ममता, सुनाई संस्था से प्रणव चौधरी, मनोज कुमार, प्रबंधक, सामजिक विकास –जीविका एवं एन.आई.ओ.एस. से सुजीत विषय विशेषज्ञ के तौर पर शामिल हुए .
इनलोगों ने दर्शकों के तरफ से आये सवालों का भी उत्तर दिया सेमिनार कार्यक्रम की संयोजक श्रीमती अंशु सिंह थे.
नुक्कड़ नाटक के तहत जन जागरूकता अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के तत्वाधान में “कलमबाज” के द्वारा वित्तीय साक्षरता , साइबर क्राइम और ऑन लाइन खरीददारी के गुर बताया जा रहा है.
विभिन्न योजनाओं के प्रति आगंतुकों को जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों एवं बैंकों के स्टॉल भी सुशोभित हैं.
बच्चों के लिए फन जोन एवं पालना घर सजाये गए हैं. आगंतुकों के लिए सरस मेला परिसर में कैशलेश खरीददारी की भी व्यवस्था की गई है. साथ ही जीविका दीदियों द्वारा संचालित ग्राहक सेवा केंद्र के माध्यम से आगंतुकों एवं स्टॉल धारकों के लिए ग्राहक सेवा केंद्र की भी उपलब्धता है.
बिहार सरकार की विभिन्न योजनाओं के साथ ही सतत जीविकोपार्जन योजना के बिहार में सफल क्रियान्वयन की झलक दिखेगी. साथ ही नशा मुक्त बिहार एवं अत्यंत गरीब परिवारों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान की बानगी भी सतत जीविकोपार्जन योजना के स्टॉल पर प्रदर्शित हो रही है.
सदियों पुराना बाइस्कोप देश की विरासत एवं संस्कृति से लोगों को परिचित करा रहा है. बाइस्कोप देखने के लिए कतार लगी दिखी.
सरस मेला परिसर में बने देशी सेल्फी ज़ोन में आगंतुक अपनों के साथ मेला की यादें सेल्फी लेकर संजो रहे हैं.
PNCB