मछली उत्पादन में बिहार आत्मनिर्भर नहीं

By pnc May 12, 2022 #bihar #fish in bihar




उत्पादन के बावजूद मंगानी पड़ती है बाहर से मछली

हर साल मंगानी पड़ती 800 करोड़ की मछली

पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश से बिहार आती है मछली

राज्य में मछली की सालाना खपत लगभग 8.25 लाख टन

बिहार में लोग इतनी मछली खाते हैं कि अब दूसरे राज्यों से मंगाना पड़ता है. हर साल 800 करोड़ रुपए की मछली पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश से बिहार आती है. इसकी पीछे वजह मछली उत्पादन में हम अब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सके. दूसरे कृषि रोडमैप 2012-17 में ही राज्य को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया था.पूरा नहीं होने पर फिर 2017-22 में लक्ष्य लिया गया कि आत्मनिर्भरता के साथ ही हम निर्यात भी करेंगे. लेकिन लक्ष्य से अभी भी हम लगभग 64 हजार टन पीछे हैं. 2021-22 में राज्य में 95 हजार हेक्टेयर में मछली का उत्पादन 7.61 लाख टन हुआ. यह 2020-21 की तुलना में 78 हजार टन अधिक है.प्रदेश में पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में मछली उत्पादन के लक्ष्य 8 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 6.14 लाख मीट्रिक टन प्रोडक्शन हुआ था। वित्त वर्ष (2021-22) में 7.5 लाख मीट्रिक टन का टार्गेट था. लेकिन 50% भी पूरा नहीं हुआ.

बिहार में मछली की सालाना खपत लगभग 8.25 लाख टन है. यानी अभी भी खपत और उत्पादन में अंतर 64 हजार टन है. सालाना लगभग अभी भी 800 करोड़ से अधिक की मछलियां दूसरे राज्यों में मंगाई जा रही हैं. पशु और मत्स्य संसाधन विभाग ने मछली उत्पादन का आंकड़ा तैयार कर लिया है. लगातार खपत भी बढ़ रही है. राज्य में सालाना लगभग 8 हजार करोड़ का मछली का कारोबार होता है. हालांकि पिछले 10 सालों में मछली उत्पादन में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है. लेकिन लगातार खपत में भी वृद्धि हो रही है.

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