ग्रामीण इलाकों में नन-बैंकिंग कंपनियों का बढ़ता जाल और आए दिन गरीबों का पैसा लेकर फरार होने की घटनाओं को लेकर गुरुवार को पटना में एक हाई लेवल मीटिंग हुई. बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने ऐसी कंपनियों पर नजर रखने के लिए हर जिले में एक कमिटी बनाने के निर्देश दिए हैं. बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार निबंधित संस्थाओं के लिए स्थानीय प्रशासन से सम्बद्धता को भी अनिवार्य बनाया जाएगा, ताकि जमा लेने का अधिकार के साथ ही साथ पैसों की वापसी की गारंटी को प्रशासनिक स्तर पर जवाबदेही के साथ सुनिश्चित किया जा सके. प्रत्येक जिले में ऐसी कम्पनियों को सूचीबद्ध किया जाएगा.
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संबंधित नियम, एक्ट, अध्यादेश और प्रावधानों की प्रति स्थानीय प्रशासन को तत्काल उपलब्ध कराकर आगामी मई माह में एक सघन अभियान चलाया जाएगा. परिपक्वता की स्थिति में अमूमन ऐसी कम्पनियों द्वारा दोबारा निवेश का दबाव बनाया जाता है, जिसके कारण ठगी के शिकार भोले भाले लोग प्राथमिकी से कतराते हैं. ऐसे में सभी जिलों में एक नोडल पदाधिकारी हो जो ठगी के शिकार लोगों को गवाह बनाकर प्राथमिकी दर्ज कराएं.
इस उच्चस्तरीय बैठक में वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल, आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई के महानिरीक्षक जे एस गंगवार, वित्त विभाग के विशेष सचिव सांवर भारती, आरबीआई और सेबी के अधिकारी, पटना के डीएम संजय अग्रवाल और राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी के संयोजक राजीव कुमार दास के साथ अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे.