आज विधानसभा में जो कुछ हुआ वह क्या ज़रूरी था नीतीश जी! सरकार के पास पर्याप्त पुलिस बल है. एक-एक विधायक पर दस-दस पुलिसवालों को लगाकर उनको उठाकर कहीं भी पहुँचा दिया जा सकता था. लेकिन विधायकों के साथ जिस ढंग का व्यवहार हुआ है वह भविष्य के प्रति शुभ संकेत नहीं है.
हमारे पुलिस और प्रशासन का चरित्र औपनिवेशिक है. अंग्रेजों ने इसका गठन जनता की सेवा के लिए नहीं बल्कि उनके दमन के लिए किया था. जहाँ भी सरकार के विरुद्ध स्वर उभरे, तत्क्षण उसे वहीं कुचल दिया जाए. इसके गठन का आधार यही था. उसी पुलिस बल को नीतीश जी निरंकुश बनाने वाला क़ानूनी अधिकार देने जा रहे हैं. आज भी अंग्रेजों की बनाई मानसिकता से ही पुलिस बल काम कर रहा है. उस में कोई परिवर्तन नहीं आया है. विधानसभा की आज की घटना ने यही साबित किया है.
ऐसे में विरोधी दल के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था ! सरकार के ख़िलाफ़ समाज के अलग अलग तबकों का आज विरोध प्रदर्शन हो रहा है. शिक्षक हों या जीविका दीदी, सब बेचैन हैं. नीतीश जी अंग्रेजों की तरह ही सारे सभी विरोधों को कुचल देने की क़ानूनी ताक़त से पुलिस बल को लैस कर रहे हैं. इसलिए जैसे भी संभव था, प्रतिप़क्ष ने उक्त क़ानून का विरोध किया है और आगे इस विरोध को जारी रखेंगे.
शिवानन्द तिवारी की कलम से 23 मार्च