स्वच्छता अभियान में हुआ बड़ा घोटाला, नीतीश ने ही किया घोटाला: बीडीओ




व्यक्ति का पता नहीं और व्यक्तिगत शौचालय के नाम पर गटके 33 लाख

व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के नाम पर  32.76 लाख रुपए निकाल लिये गए

जांच में 273 लाभार्थी फर्जी निकले, आधार कार्ड से भी घर-बार की पहचान नहीं

कार्यालय में कोई लेखा-जोखा नहीं मिल रहा

ऑपरेटर ने फर्जी लाभार्थियों को किया भुगतान : बीडीओ

भभुआ में 273 लाभुकों के नाम शौचालय निर्माण की राशि अलग-अलग बैंकों के खाते में भेज दी गई. अब जब तहकीकात हुई, तो यह सभी 273 लाभार्थी फर्जी निकले. इनके आधार कार्ड से भी पते की पहचान नहीं हो पा रही है. खास यह भी कि जिस बैंक के खाते में इन फर्जी लाभार्थियों के नाम पर राशि भुगतान हुई है, उसका भी कुछ अता-पता नहीं चल पा रहा है. क्योंकि आधार की दो पृष्ठों में ही हेराफेरी कर घपला किया गया है. इनमें से ज्यादातर लाभार्थी ऐसे हैं, जो दिए गए आधार में पते के हिसाब से उस पंचायत तक के निवासी नहीं हैं.यह घोटाला लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान के दूसरे चरण में हुआ है. भभुआ प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ने डेटा आपरेटर से स्पष्टीकरण मांगा है.

विश्वास में लेकर फर्जी लाभुकों को भुगतान कर दिया गया. अब सभी की पहचान बताएं. यह घोटला लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान के दूसरे चरण में हुआ है. इस चरण में अकेले सदर प्रखंड क्षेत्र में 901 लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के बाद 12000 की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया गया है. इनमें 273 लाभार्थी फर्जी पकड़े गए हैं. 2011-12 में बेसलाइन सर्वे किया गया था. सर्वे में चिन्हित घरों में व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के बाद प्रोत्साहन राशि दी जानी थी. यह वैसे ही घर थे, जिन घरों में शौचालय पहले से नहीं थे.

इस घोटाले का मुख्य तथ्य यह हैं कि प्रखंड कार्यालय में इन फर्जी लाभार्थियों के आवेदन में संबंधित पदाधिकारी की पर्यवेक्षण रिपोर्ट, जियो टैगिंग, निर्मित शौचालय की फोटोग्राफ, लाभार्थी के पते की पहचान से संबंधित कोई दस्तावेज ही नहीं हैं. उपलब्ध है तो सिर्फ बैंक खाता संख्या. यह बैंक खाता संख्या भी ज्यादातर एयरटेल बैंक, फिनो बैंक जैसे संस्थानों की बताई गई है. इनकी छानबीन कर पाना काफी कठिन है. बताया गया है कि लाभार्थी खातेदारों की पहचान बताने में भी निजी क्षेत्र के बड़े बैंक की शाखाएं भी इनकार कर रही हैं.कुछ भुगतान एचडीएफसी में भी हुई है. पड़ताल करने पर यह तथ्य सामने आ रहा है कि इस घपले की पृष्ठभूमि करीब 2 साल पहले से ही तैयार की जा रही थी.

फर्जी लाभार्थियों के एंट्री पहले ही की जा चुकी थी. अब जब प्रखंड विकास पदाधिकारियों के स्थानांतरण हुए तो इस कारगुजारी को अंजाम दिया गया. यह तथ्य इसलिए भी पुष्ट होता है कि क्योंकि प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जिस डाटा ऑपरेटर नीतीश कुमार को प्रकरण का स्पष्टीकरण देने को कहा है. उसने इन सभी तथ्यों की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया है. डाटा ऑपरेटर ने विश्वास में लेकर फर्जी लाभार्थियों को भुगतान कर दिया. इसकी जांच की जा रही है. अब तक जांच में 273 फर्जी लाभार्थी पकड़े गए हैं. इनके अभिलेख कार्यालय में नही हैं.

PNCDESK

By pnc

Related Post