मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ की रिपोर्ट 35 राज्य करते हैं जारी. बिहार है सबसे नीचे
बिहार में अस्पताल जारी नहीं करते डेथ मेडिकल सर्टिफिकेट
कुल मौतों में 87 प्रतिशत केवल आठ बीमारियों के कारण
बीमारियों के इलाज को लेकर रणनीति बनाने में बड़ी बाधा
बिहार में 94 फीसदी अस्पताल मृत्यु का मेडिकल सर्टिफिकेट जारी नहीं करते हैं. केंद्र सरकार द्वारा देशभर के अस्पतालों के जारी आंकड़े से इसका खुलासा हुआ है. बिहार के 683 अस्पतालों के आंकड़े इसमें शामिल किए गए हैं. 683 में मात्र 42 ही ऐसे हैं जिन्होंने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किये. देश में नेशनल सेंटर फॉर डीजीज इन्फॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च के अनुसार मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ (एमसीसीडी) की रिपोर्ट 35 राज्य जारी करते हैं. इनमें बिहार सबसे नीचे है. बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड में एमसीसीडी कवरेज खराब है.
मृत्यु के मेडिकल सर्टिफिकेट को महापंजीयक, भारत सरकार (सीआरएस) द्वारा संग्रहित किया जाता है. बिहार में जितनी मौतें होती हैं, उसका सिर्फ पांच प्रतिशत ही मेडिकल सर्टिफिकेट जारी होता है. मौत को लेकर जो मेडिकल सर्टिफिकेट जारी होते हैं उनमें 62 प्रतिशत सर्टिफिकेट पुरुषों के जबकि 38 प्रतिशत ही महिलाओं के होते हैं. वर्ष 2019 में बिहार में 03 लाख 59 हजार 349 मरीजों की मौत हुई, जिसमें सिर्फ 18 हजार 233 को ही मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किये गये.
सीआरएस द्वारा जारी एमसीसीडी, 2019 की रिपोर्ट की मानें तो मृत्यु को लेकर दिये गये मेडिकल सर्टिफिकेट के विवरण के अनुसार कुल मौतों में 87 प्रतिशत केवल आठ बीमारियों के कारण हुईं. देश में सर्वाधिक मौत का कारण सर्कुलेट्री सिस्टम से होने वाली बीमारी बनी है. इसके अलावा हृदय में होनी वाली बीमारी सर्वाधिक जानलेवा बनी. मृत्यु के दूसरे कारण में सेप्टिसिमिया और टीबी है. निमोनिया, मधुमेह, पाचन तंत्र, ऑक्सीजन की कमी और जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी, चोट और जहर के कारण भी मौतें होती हैं.
राज्य के अधिकत अस्पतालों में होने वाली मृत्यु का सर्टिफिकेट जारी नहीं होने से बीमारियों के इलाज को लेकर रणनीति बनाने में बड़ी बाधा साबित हो रही है. यह बेहद निराशाजनक स्थिति है. किसी व्यक्ति की मौत से किस बीमारी से हुई है, उसका विवरण मृत्यु प्रमाण पत्र में दिया जाता है. बड़े स्तर पर खास बीमारी से मौते होने पर उस रोग के नियंत्रण व इलाज को लेकर नई रणनीति बनायी जा सकती है. मरीज की मृत्यु का मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने के पहले परिजनों को जल्द मृत शरीर को अस्पताल से हटाने के लिए अस्पताल प्रबंधन बाध्य करते हैं. परिजन भी कागजी खानापूर्ति के चक्कर में नहीं पड़ते हुए मरीज की दवा व इलाज से संबंधित कागजात को लेकर चले जाते हैं.
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